राहुल राज
पटना ।
सोमवार को पीएमसीएच से इलाज के दौरान फरार हुए मिथिलेश कुमार का सच जानकर आप सन्न रह जायेंगे। साथ ही बिहार पुलिस के पब्लिक फ्रेंडली होने का सच भी उजागर हो गया है।पूर्व में भी बिहार पुलिस अपने कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहती है। इस बार वैशाली पुलिस एक युवक की बेदर्दी से निर्मम पिटाई को लेकर सुर्खियों में है।
अब आप जरा इस पूरे प्रकरण का सच जान लीजिए।पटना पीएएमसीच से फरार हुआ मिथिलेश दरअसल जिले में बढ़ते अपराध को लेकर वैशाली जिले के करताह थाने में शिकायत करने गया था। लेकिन करताहा थानाध्यक्ष लालबहादूर प्रसाद ने उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। जिसकी ताक़ीद चीख चीख कर उसके शरीर पर उभरे लाठियों के दाग और गहरे जख्म के कई निशान कर रहे है।फिर अपने वहशियाना हरकत को छुपाने खातिर करताहा थानाध्यक्ष ने उसे थाने से खदेड़ दिया। अब जरा करताह थाना अध्यक्ष लाल बहादुर प्रसाद की पहले की उपलब्धियां भी जान लिजिये। ये वही लालबाबु प्रसाद है जिनके नयागांव थानाध्यक्ष रहते सूबे के बेहद चर्चित सोहैल हिंगोरा अपहरणकांड हुआ था। इनके थाने के बगल के गांव में 26 दिनों तक सोहैल को रखा गया था पर थानेदार साहब को हवा तक नही लगा था क्योकि साहब तो किसी अन्य कारणों से नयागांव इलाके में कुख्यात रहा करते थे।
ख़ैर, बाद में करताह थानेदार की निर्मम पिटाई से घायल मिथिलेश को पहले नगर थाना लाया गया। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए फिर उसे सदर अस्पताल लाया गया, उसके बाद डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर कर दिया। निर्मम पिटाई का शिकार मिथलेश खुद को आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता बताता रहा है। इलाज के दौरान उसने पीएम ,सीएम वैशाली जिले के एसपी समेत हर स्तर के अधिकारियों के खिलाफ खूब नारेबाजी की। जिले के अधिकारियों को ‘चोर’ व ‘घूसखोर’ बताया।
इस पूरे मामले में वैशाली पुलिस अधिकारियों ने बताया कि युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है।लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक की पिटाई इस तरह से की जा सकती है ?
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