जमशेदपुर-दलमा आने वाले पर्यटक रजनी के बिना मिले नही लौटते

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जमशेदपुर

दलमा वन आश्रयणी घूमने आने जाने वाले पर्यटक रजनी से मिलना नही भुलते है। ये रजनी दलमाजाने के रास्तें में मकलूकोचा के पास अपने दोस्त चंपा के साथ ऱहती है। वैसे  पर्यटक जो वहां हमेशा आना जाना करते है। उसके लिए जरुर कुछ न कुछ खाने का समान ले कर जाते है। जो नए पर्यटक जाते है वे रजनी को इस बात का वादा करके जाते है कि वह अगले बार जरुर कुछ  खाने का समान लेकर आएगे। जी हम बात कर रहे है मादा नर हाथी रजनी की। जो  आज से ठीक आठ वर्ष पहले दलमा के जंगलो मे अपने समुह से बिछड़ गई थी। उसे ईलाज कराने के बाद समुह में वापस लाने के लिए रजनी को दलमा वन्य अभयारण मे छोड़ा भी गया। लेकिन समुह ने इस हाथी को शामील नही किया । उसके बाद वनविभाग ने रजनी को अपने पास रख लिया। उसके बाद से रजनी वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी के अलावे यहां आने वाले सैलानियों के लिए चहेता बन गया।

गढे में गिरा मिला था रजनी

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बताया जाता हैं कि यह हाथी आज से आठ साल पहले झुंड से बिछड़ कर सरायकेला-खरसावां जिला के चांडिल के समीप एक गड्ढे में जा फंसी थी। उसे ग्रामीण और वन विभाग की मदद से गडढे से निकाल कर घायलावस्था में निकालकर टाटा जू लाया गया था, जहां काफी दिनों तक उसका इलाज हुआ। जब वह ठीक हो गई तो उसे दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी को सौंप दिया गया। दलमा के मकुलाकोचा में बकायदा इस मादा हाथी का नामकरण रजनी के रूप में किया गया। उसी समय से रजनी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाने लगा। रजनी का जन्मदिन मनाने के लिए दलमा वन आश्रयणी के कर्मचारियों के साथ ही मकुलाकोचा के ग्रामीणों के साथ साथ स्कूली बच्चों में भी उत्साह रहता है।

 रजनी घुमधाम से मनाया जाता है जन्मदिन

इस संबंध में रेंजर आरपी सिंह ने बताया कि वन विभाग के द्वारा प्रति वर्ष सात अक्टूबर को रजनी का जन्मदिन मनाया जाता  है। इस अवसर पर मकुलाकोचा में केक कंटिग किया गया और कई कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है।उन्होने कहा कि रजनी का इस बार अपना आठवां जन्मदिन है।  इस दौरान हमलोगो ने रजनी के साथ चंपा का भी ख्याल रखा। केक काटने के समय दोनो हाथी को एक साथ लाया जाता है। इसके अलावे छोटी सी पार्टी का भी आयोजन किया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ रवि झा

 

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