World Cancer Day 2024:कैंसर को दोस्त बनाकर कैंसर से जूझते हुए कैंसर पीड़ितों के लिए जिंदादिली से जीना कोई रवि से सीखे

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ANNI AMRITA
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रवि प्रकाश…ये नाम तो आपलोगों ने बीबीसी रांची के साथ सुना देखा ही होगा…पर वह तो व्यक्तित्व का एक छोटा सा हिस्सा था..अब जो हिस्सा दुनिया देख रही है उसकी प्रशंसा में शब्द कम पड़ जाएंगे.

स्वयं कैंसर से ग्रसित होकर भी रवि प्रकाश ने मानो कैंसर से दोस्ती कर ली है…वह हर दिन हर पल कैंसर के प्रति न सिर्फ लोगों को बल्कि सरकारों को भी जागरुक कर रहे हैं.वे भारत से लेकर नेपाल तक कार्यक्रमों के जरिए कैंसर पर जागरुकता अभियान चला रहे हैं.आज रवि की इस
धुन ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वाकई कैंसर को सहना और कैंसर के खर्च को वहन करना आम आदमी के वश की बात नहीं है.रवि ‘कैंसर वाला कैमरा’ के जरिए अपनी फोटोग्राफी की प्रदर्शनी लगाते हैं.यह एक प्रकार से अप्रत्यक्ष रुप से कैंसर जागरूकता का ही एक रुप है जिससे अब धीरे धीरे लोग जुड़ रहे हैं.रवि कैंसर को लेकर मीडिया के प्लेटफार्म से लेकर सेमिनारों/ कार्यक्रमों के जरिए अपने जीवन का एक एक क्षण लोगों और सरकारों को जागरुक करने में लगा रहे हैं.वे चीख चीख कर कह रहे कि इतना महंगा इलाज, इतनी महंगी दवाइयां देश के एक आम व्यक्ति के बस का नहीं. यह बीमारी सिर्फ बेतहाशा पैसे खर्च कर इलाज नहीं मांगती बल्कि यह सकारात्मकता, उत्साह, जीवन के प्रति चाह बरकरार रखने की जद्दोजहद से गुजरते हुए मुस्कुराना न भूलने का एक संघर्ष भी है.

रवि एक मिसाल हैं.उन्होंने कैंसर से दोस्ती कर ली है.वे मुंबई इलाज के लिए जाते हैं तो बचे खुचे समय में घूम लेते हैं.वे समय समय पर भारत के विभिन्न टूरिस्ट क्षेत्रों का भ्रमण करते हैं.वे जीवन के हर पल को पूरी सकारात्मक ऊर्जा के साथ जी रहे हैं, जो लोगों के लिए प्रेरक है.वैसे तकनीकी तौर पर वे जीवन की उस अवधि को पार कर चुके हैं जितना डाॅक्टर ने बताया था पर न सिर्फ वे जिंदा हैं बल्कि जिंदादिली से जी रहे हैं…उस अवधि के पार की इस जिंदगी को वे ‘लीज का जीवन’ कहते हैं.कीमोथेरेपी और अन्य प्रक्रियाओं के लिए मुंबई जाते हैं और इलाज के बाद कहते हैं कि लीज की अवधि कुछ बढ़ गई…फोर्थ स्टेज कैंसर के साथ वे तीन साल बिता चुके हैं.कैंसर जागरुकता के राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय कार्यक्रमों के बीच वे रिपोर्टिंग के लिए भी समय निकाल लेते हैं.पिछले दिनों नेपाल में कैंसर जागरुकता को लेकर एक महत्वपूर्ण सेमिनार में उन्होंने भाग लिया और पुरजोर तरीके से अपनी बात रखी.

सोशल मीडिया में उनके भावुक और जिंदादिली से भरे उनके जीवंत पोस्ट लोग काफी पसंद करते हैं,एक बानगी देखिए –ट्विटर पर–

“एक एक दिन की जिंदगी की जद्दोजहद की, तो लगा कि मुट्ठी की रेत से तेजी से फिसल रही है.फिर जब इस जिंदगी को जीने लगे,तो लगा कि मजा सफर में ही है.यह गतिमान है.मंजिल तो दरअसल अंत की सूचक है.”
—रवि प्रकाश

बिहार झारखंड न्यूज नेटवर्क की तरफ से रवि प्रकाश को सलाम है.

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