
विजय सिंह ,बी.जे..एन.एन. विचार…
होली बीत चुकी..लाल हरे पीले होली के रंग अब उतरने लगे हैं परन्तु लोकसभा चुनाव के रंग अब और भी गहरे होते जा रहे हैं.सियासी पार्टियां चुनावी रंग में रंगने के लिए किसी भी रंग को छोड़ना नहीं चाहती..खास कर भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और अब उतर प्रदेश के धर्म नगरी वाराणसी से भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के खिलाफ सारे विपक्षी किसी भी रंग से परहेज नहीं कर रहे चाहे वह “शरीर” के लिए अहितकर ही क्यों न हो..होली का पर्व ऐसे भी भाईचारे ,एकता और बंधुत्व का परिचायक है…
मोदी को मैं एक राजनीतिक पार्टी के नेता और गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री की हैसियत से जानता हू परन्तु मोदी इतने शक्तिशाली हैं कि सारे विपक्ष को उनके कारण एक जुट होना पड़े यह अब जान पाया. मुझे महाभारत के अभिमन्यु की कहानी याद आ रही है जब अभिमन्यु को घेरने के लिए सारे दिग्गज वीर योद्धाओं ने एकजुट होकर चक्रव्यूह की रचना कर डाली..अपरिपक्व होते हुए भी अभिमन्यु ने सारे दिग्गजों को छठी का दूध याद दिला दिया .परन्तु अंततः अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए.
वाराणसी से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी तो लेकिन अनुभवकारी हैं..सत्ता में पक्ष विपक्ष का खेल खेलना जानते हैं.राजनीति में अंदर बाहर के दावं पेंच झेल चुके हैं ….क्या समूचा विपक्ष मिल कर मोदी को घेर पाता है ,यह देखना सच में दिलचस्प होगा..यह देखना रोमांचकारी होगा कि वाराणसी के इस चक्रव्यूह में मोदी च्रक्रव्यूह तोड़ कर निकल जाते हैं या विपक्ष उन्हें धाराशाही करने में कामयाब होता है?