जमशेदपुर।
शनिवार को शहर की पुरातन सामाजिक संस्था दी इवनिंग क्लब एवं जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल के तत्वाधान में दी इवनिंग क्लब सभागार, टिनप्लेट में एक दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का आयोजन किया गया I समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि टिनप्लेट कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री आर०एन मूर्ती , सम्मानित अतिथि श्रीलेदेर्स के प्रबंध निदेशक श्री शेखर डे , विशिष्ट अतिथि श्रीमती संध्या मूर्ति , दी इवनिंग क्लब के अध्यक्ष श्री शौरोज्योती डे एवं जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल के अध्यक्ष श्री अनिरुद्ध सेन के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया I
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में कुमारी कीर्ति ने कत्थक नृत्य पेश कर कार्यक्रम का आगाज़ किये I तबले पर प्रदीप शील , हारमोनियम पर सुब्रोतो बिस्वास एवं परन के बोल पर सुश्री शिवानी मुखी ने सराहनीय संगत किये I
दूसरी प्रस्तुति में शहर के प्रख्यात गायक श्री सुजन चटर्जी एवं श्रीमती संगीता चटर्जी ने एक से बढ़कर एक शास्त्रीय गीत , उप शास्त्रीय गीत एवं ग़ज़ल पेश किये I अपनी पहली प्रस्तुति में सुजन चटर्जी ने वर्षा ऋतू पर आधारित बंदिश राग मिया मल्हार में “बिजुरी चमके………” , एवं ठुमरी “याद पिया की आये …….” ने खूब तालियाँ बटोरी I इधर संगीता चटर्जी ने अपने मखमली आवाज़ से श्रोताओं का मन मोह लिया उनके द्वारा पेश किये गए बंगला गीत “ओये घिरे आशे…..” एवं ग़ज़ल “वाज्शिर बजाम्रें…….” की प्रस्तुति से सभागार में खूब तालियाँ बजी I अंत में दोनों दम्पति ने रागप्रधान गीत “पिया भोलो अभीमान ……………..” गीत के साथ ही अपने गायकी की जोड़दार समाप्ति की I तबले पर रितोर्शी गांगुली एवं हारमोनियम पर श्रीनिवास राव ने सराहनीय संगत किये I
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में कोलकाता के फरुख्हाबाद घराना के पिनाकी चक्रवर्ती ने अपने एकल तबला वादन से खूब तालियाँ बटोरीI उन्होंने अपने एकल तबले वादन में तीनताल में पेशकार से प्रारंभ किये तत्पश्चात कायदा , चलन , रेला , गत , टुकड़ा , परण , चक्रधर , लग्गी पेश किये I हारमोनियम पर सुजन चटर्जी के सुमधुर नगमा के साथ पिनाकी ने तबले पर थाप दी तो सभागार में तालियों की गूंज से गुंजायमान हो उठी।
तीन ताल के बाद से तो ताल वाद्य की थाप के साथ तालियों के मिलाप का मानो सिलसिला चल निकला। मां सरस्वती, गणपति और गुरू को याद करते हुए उन्होंने अपनी अंगुलियों की ऐसी कमाल की जादूगरी दिखाई कि श्रोताओं के मुंह से बरबस वाह–वाह निकलने लगी। हर थाप के साथ उनका रोमांच बढ़ रहा था। ज्यादातर श्रोताओं का ध्यान पूरी तरह से तबले की नाद और तबलानवाज पर था।
एकल तबलावादन में लयकारी के चमत्कारी दिखाने वाले पिनाकी ने परफार्मेंस के दौरान दर्शाया कि तैयारी अच्छी हो तो तबले की बारीकियां न जानने वाले श्रोताओं के मन भी ताल पर झूमने को मचल जाते हैं। हर थाप मिठास भरी, हर तिहाई अनूठी और हर अदायगी जादूगरी सी लगती है ।
कभी ट्रेन की आवाज तो कभी डमरू की डम-डम
दी इवनिंग क्लब एवं जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल के द्वारा आयोजित ये महफिल इस लिहाज से भी अनूठी थी कि पिनाकी ने तबले के इस साज से कभी ट्रेन चलने की आवाज निकाली तो कभी डमरू की। अपने ऐसे ही कमाल से अपने तबले को ये कलाकार अपने साज की किसी पाक चीज की तरह इबादत करता है। शायद इसीलिए ये ताल वाद्य भी उनकी थाप से संवरकर कुछ यूं बज उठता है मानो गुफ्तगू कर रहा हो।
संस्था के द्वरा कलाकारों को प्रत्येक कार्यक्रम के पहले शौल ओढाकर एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया I मंच का संचालन काकोली घोष ने बखूबी किया I
कार्यक्रम के सफल आयोजन में शौरोज्योति डे , अनिरूद्ध सेन , सुजीत रॉय , सुभाष बोस , सत्यनारायण दास , संदीप हालदार , कुनाल , अभिजित चक्रवर्ती , अभिजित मुखर्जी , सजल दत्ता , बाबई सरकार, पिजुष पाल , शांतनु दास , अमिताभ सेन , प्रदीप भट्टाचार्जी , अनिल कुमार सिंह , हरप्रसाद मुखर्जी , दीप कुमार मित्रा , पंकज झा के साथ साथ दोनों संस्थाओं के सभी सक्रीय सदस्यों का सहयोग रहा I
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