शेखपुरा-गर्भाशय घोटाले में संलिप्त डॉक्टरों की गिरफ्तारी नहीं होने से पुलिस की कार्य शैली पर उठने लगे सवाल

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lalan kumar

ललन कुमार
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शेखपुरा .  ।

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चर्चित गर्भाशय घोटाले में संलिप्त डॉक्टरों और क्लीनिक संचालकों की गिरफ्तारी नही होने से पुलिस की कार्य शैली संदेह के घेरे में आ गयी है ।लोग तरह तरह के सवाल इस मामले में पुलिस की कार्य शैली पर  उठाने लगे हैं ।गर्भाशय घोटाले के संबंध में थाना में दर्ज किये गये मुकदमे में पुलिसिया जांच रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है. पहले तो पंचायत चुनाव के बहाने इसे टाला जा रहा था और अब पंचायत चुनाव के परिणाम घोषित कर दिये जाने के बाद भी अनुसंधान गति पकड़ने का नाम नहीं ले रहा है. गर्भाशय घोटाले में जिले के नामी-गिरामी चिकित्सक के साथ-साथ नामी क्लीनिक शामिल है.

पिछले माह ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा शेखपुरा थाना में चार और बरबीघा थाना में दो केस दर्ज कराया था. शेखपुरा थाना  में दर्ज मामलों के अनुसंधान का भार पुलिस पदाधिकारी बीके सिंह तथा बरबीघा थाना में दर्ज दो मामले का भार पुलिस पदाधिकारी जीन्गुआ को दिया गया था. इस संबंध में जानकारी मांगने पर एसपी राजेंद्र कुमार भील ने बताया क इस मामले की पुलिया जांच में तकनीकी पहलू पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है.

 

इस जांच को गति देने के लिए स्वास्थ्य विभाग से जिला प्रशासन द्वारा किये गये जांच रिपोर्ट की प्रति मांगा गया है. साथ ही इस पूरी योजना को नियमावली की भी मांग की गयी है. जिसके आधार पर गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले परिवार के लोगों का इलाज निजी अस्पतालों में किया जाता था.

 

उन्होंने बताया कि पंचायत चुनाव के कारण इस जांच में अब तेजी लायी जायेगी. गौरतलब है कि 30 हजार रुपये में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार के इलाज के लिए निजी अस्पतालों में इलाज के लिए सरकार द्वारा स्मार्ट हेल्थ कार्ड की सुविधा शुरू की थी. इस योजना के तहत जिला में 09 क्लिनिकों को इलाज के लिए अनुबंध किया गया था तथा वित्तीय वर्ष 2010 से 13 तक के बीच इलाज के नाम पर मुख्यत: गर्भाशय का ऑपरेशन किये जाने का आरोप सामने आया था.

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