ब्रजेश भारती – सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) की रिपोर्ट-


राज्य के एक जिला कोशी का सहरसा है,कहने को तो यहां बाबू से लेकर दादू, मंत्री से लेकर संत्री तक को पैदा किया लेकिन सबके सब नाम बड़े दर्शन छोटे वाली कहावत चरितार्थ करते नजर आये।
इसी जिले का एक अनुमंडल सिमरी बख्तियारपुर है। इस अनुमंडल के अन्तरगर्त तीन प्रखंड है क्रमश सिमरी बख्तियारपुर,सलखुआ एवं बनमा-ईटहरी। लाखों की आबादी वाले इस अनुमंडल क्षेत्र के लोगो की स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी अनुमंडलीय अस्पताल के जिम्मे है।आईये जाने जिनके जिम्मे ईतनी बड़ी आबादी की जिम्मेदारी है उसका क्या हाल है
कहने को तो पीएचसी से अनुमंडल अस्पताल बन गया है लेकिन अनुमंडलीय अस्पताल में चिकित्सा सुविधा की घोर कमी है। करीब दो वर्ष पूर्व ही तीन मंजिला नया भवन बनकर तैयार हो गया है। नये भवन में चिकित्सा सेवा भी चालू हो गया इसके बावजूद उसमें सभी सुविधा बहाल नहीं हो पाई है।
हाल यह है कि अनुमंडल अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रतिनियुक्त स्वास्थकर्मी के व कुछ नये कर्मी के सहारे चलाया जा रहा है। गंभीर रोगों के इलाज की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। चिकित्सा के अभाव में गंभीर रूप से बीमार मरीज असमय काल के गाल में समा जाते हैं। मामूली रूप से बीमार मरीज को सहरसा सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।
इसके कारण अनुमंडल के सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ व बनमा ईटहरी प्रखंड के लाखों लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए सहरसा या फिर पटना की शरण लेनी पड़ रही है।
वर्ष 2009-10 में मिला अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा-
सरकार ने राज्य के 47 अनुमंडल में वित्तीय वर्ष 2009-10 में 100 शैय्या वाले अनुमंडल अस्पताल बनाने की घोषणा की थी। इसी कड़ी में कोसी क्षेत्र के लाखों लोगों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए यहां भी 100 शैय्या वाले अनुमंडलीय अस्पताल बनाने की नींव पड़ी। अनुमंडलीय अस्पताल का विशाल भवन 4 करोड़ 91 लाख रुपए की लागत से बन कर तैयार हो गया है। आज से डेढ़ बर्ष पूर्व 26 मई 2015 को अनुमंडल अस्पताल का बोर्ड भी लगा दिया गया। सुविधा आज तक बहाल नहीं की गई है।
डाक्टरों व कर्मीयों की कमी से जूझ रहा अस्पताल –
IPHS मानक के अनुरूप 100 शैय्या वाले अनुमंडल अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग से 108 चिकित्सा कर्मी के स्वीकृत पद की अनुशंसा की गई है। इसके विरुद्व वर्त्तमान में एक डॉक्टर व 4 ए ग्रेड एनएम कुल पांच स्वास्थ्यकर्मियों को स्वास्थ्य विभाग ने पदस्थापित कर अपना पल्लू झाड़ लिया है। इसके कारण मरीजों को काफी परेशानी होती है।
क्या है रेफर अस्पताल –
इस अस्पताल में जो भी मरीज के परिजन रोगी लेकर आते है वह यह समझ कर आते है की चलो पुर्जा कटाने के बाद रेफर करा कर अन्य जगह ईलाज के लिये चले जायेंगे क्योकि इनलोगो को पता होता है की ये अस्पताल रेफर अस्पताल के रूप में प्रसिद्धी प्राप्त है।यहां ईलाज नही सिर्फ रेफर होता है।