सुधीर कुमार


झारखंड में इस हफ्ते #नक्सली मोर्चे पर काफी कुछ ऐसा हुआ, जो मोमेंटम झारखंड की चमक में कहीं ‘दब’ सा गया। सबसे पहली खबर आई पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुड़ाबांधा से, जहां 25 लाख रुपये के इनामी, नक्सली जोनल कमांडर कान्हू मुंडा ने अपने छह नक्सली साथियों के साथ जमशेदपुर पुलिस के SSP अनूप टी मैथ्यूज, ग्रामीण SP Shailendra Barnwal व अन्य वरीय पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्म-समर्पण कर दिया। इस घटना के दो दिनों बाद इन सभी की निशानदेही पर पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार जब्त किये। इसके बाद लातेहार पुलिस ने 5 लाख रुपये के इनामी नक्सली सब-जोनल कमांडर अवधेश यादव को लुधियाना से गिरफ्तार किया।
गुड़ाबांधा में पुलिस की सक्रियता और सकारात्मक प्रभाव को सिर्फ इस बात से समझा जा सकता है कि कल सुबह वहां से पुलिस ने एक और नक्सली लुकडू सरदार का शव बरामद किया। एक ओर पुलिस इसे नक्सलियों की आपसी रंजिश में हुई हत्या बता रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ स्थानीय सूत्र इसे ग्रामीणों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ की गई कार्यवाही बता रहे हैं। ज्ञात हो कि इसी नक्सली ने कान्हू मुंडा के आत्म-समर्पण का विरोध किया था।
नोटबंदी के बाद नकदी की समस्या से जूझ रहे नक्सली खासे परेशान हैं, और इस समय उनके ‘सपोर्ट सिस्टम’ पर थोड़ा सा दबाव भी उनके मनोबल को तोड़ सकता है। मैंने नक्सली समस्या के बारे में पहले भी लिखा है, और मेरा यह स्पष्ट मत है कि जिला-स्तर पर तैनात कुछ ‘समझदार’ अधिकारी इस समस्या के समाधान निकालने की दिशा में काफी मददगार हो सकते हैं। सरकार और सामाजिक संस्थाओं को चाहिये, कि वो इस तरह के “मिशन” में शामिल अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहित करें। #Naxal #Jharkhand