संजय कुमार सुमन
भागलपुर।
गंगा में आई उफान से भागलपुर में सबसे अधिक तबाही हुई है। राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित जिलों के डीएम से 5 सितम्बर तक क्षति की रिपोर्ट मांगी है। भागलपुर जिले में एक हजार करोड़ से अधिक की क्षति होने का अनुमान है।
आपदा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 30 में से 12 जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं। तबाही के हिसाब से सरकार ने ‘ए’ से ‘डी’ तक केटेगरी बनाई है। भागलपुर जिला ‘ए’ केटेगरी में शामिल है। प्रारम्भिक क्षति का अनुमान एक हजार करोड़ से अधिक का है। यह आकलन और बढ़ सकता है। तबाही का अंदाज इससे भी लगाया जा सकता है कि केवल एनएच ने पुल-पुलियों व सड़कों को बनाने के लिए 98 करोड़ मांगा है। वहीं, छह सौ करोड़ से ज्यादा कृषि की क्षति बताई जा रही है।
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने बताया कि सभी जिलों से तबाही की रिपोर्ट मिलने के बाद केन्द्र सरकार को रिपोर्ट भेजा जाएगा। उसके बाद दिल्ली से केन्द्रीय टीम आएगी और सभी जिलों में जाकर क्षति का सर्वे करेगी। प्रमंडलीय आयुक्त अजय कुमार चौधरी ने बताया कि डीएम क्षति का आकलन करवा रहे हैं। जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने बताया कि अंचलाधिकारी और संबंधित विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर बर्बादी के आकलन का रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।
सरकार के संयुक्त सचिव अनिरूद्ध कुमार द्वारा जारी दिशा- निर्देश के अनुसार खेती, सड़क, जानमाल, पशु, चारा, भवन, चारदीवारी, विद्युत और जलापूर्ति, बांध, सिंचाई के साधन समेत 11 बिन्दुओं पर जिला प्रशासन तबाही की रिपोर्ट भेजेगी। भागलपुर में मक्का, धान और केले की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है।
बताया जाता है कि16 में 14 प्रखंडों में बाढ़ से4 लाख की आबादी प्रभावित है और300 गांवों में पानी प्रवेश कर गया हैएक लाख हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो गई है जिसमें मक्का, केले और धान की फसल शामिल है।
40 से अधिक प्रमुख सड़कें बर्बाद
बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे घटने लगा है. मुंगेर, खगड़िया, लखीसराय में थोड़ी राहत मिली है लेकिन कटिहार व नवगछिया के नये इलाके में पानी फैल रहा है। नवगछिया प्रखंड मुख्यालय में बाढ़ का पानी घुसने से कामकाज बाधित हो गया जबकि कटिहार के समेली प्रखंड के नये इलाके में पानी घुसने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
दर्जनों गांव अब तक बाढ़ के पानी में पूरी तरह जलमग्न है।
दियारा क्षेत्र का इलाका सबसे अधिक प्रभावित है।गंगा का जलस्तर पिछले चार दिनों से लगातार घट रहा है, लेकिन इसके घटने की रफ्तार धीमी है। धीमी गति से जलस्तर में कमी आने के कारण अब भी गंगा खतरे के निशान से 46 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।
कटिहार के कुरसेला, बरारी व मनिहारी प्रखंड में बाढ़ का पानी घटा तो है लेकिन स्थिति में सुधार नहीं है। समेली, प्रखंड के मुरादपुर, खैरा, सलेमपुर, बखरी, तिवरी टोला व छोहार, डुम्मर, बकिया क्षेत्र के नये इलाके में पानी घुसने से मवेशी व परिवार को लेकर दूसरे सूखे इलाके में पलायन कर रहे हैं।वहीं समेली हॉस्पीटल चौक से बखरी जाने वाली सड़क पर डेढ़ फीट पानी बहाव के साथ सड़क कटने की समस्या बनी है।
नवगछिया में जलस्तर घट रहा है लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाके की स्थिति सामान्य नहीं है। नवगछिया प्रखंड मुख्यालय में भी पानी घुस गया है।इस कारण प्रखंड का कामकाज बाधित हो गया। रेल ट्रैक को दुरुस्त करने के बाद ट्रेनों का आवागमन सुचारू रूप से होने लगा है। अनुमंडल मुख्यालय, कचहरी परिसर में पानी जमा है। इस कारण काम नहीं हो रहा है। राज्य में बाढ़ की तबाही से करीब 15 हजार करोड़ की क्षति का प्रारंभिक अनुमान है। राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग तबाही का आकलन करने में जुटा है। पूरे आकलन के बाद केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपी जायेगा। इसके बाद केंद्रीय टीम क्षति का जायजा लेने बिहार आयेगी।केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर बिहार को बाढ़ से हुई क्षति की भरपाई के लिए केंद्रीय सहायता मिल पायेगी। आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने कहा है
कि इस बार की बाढ़ में कुसहा त्रासदी से भी अधिक क्षति हुई है।उन्होंने कहा कि कोसी की कुसहा त्रासदी से भी अधिक लोग बाढ़ की मार झेल रहे हैं। मंत्री ने कहा कि कुसहा में 1414886 करोड़ की क्षति हुई थी। इस बार 15 हजार करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान है। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक व्यापक पैमाने पर घरों की तबाही, 234 एकड़ जमीन में लगी फसल की बरबादी, राज्य के 25 जिलों में बाढ़ के कारण सड़क, पुल -पुलिया, राजकीय उच्च पथ समेत और सरकारी भवनों की व्यापक क्षति हुई है.
राज्य सरकार ने इस बाबात सभी जिलों के डीएमको निर्देश जारी कर कहा है कि वह पांच सितंबर तक बाढ़ से क्षति का ब्योरा मुख्यालय को उपलब्ध कराएं।आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार करीब 12 जिलों में अब भी व्यापक पैमाने पर जलजमाव है। इन जिलों में जिला प्रशासन क्षति के आकलन पर ध्यान न देकर राहत और बचाव को प्राथमिकता दे रहे हैं। सूचनाधिकार कार्यकर्त्ता अजीत कुमार सिंह कहते हैं कि सरकार की ओर से चलाए जा रहे राहत कार्यों से मैं संतुष्ट नहीं और मुझे इस बात की भी बहुत ही खेद है की प्रशासनिक पदाधिकारियों ने स्वेमसेवी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों को करने से रोक दी है बल्कि उन्हें यह कह कर मना कर दी गई है की सरकार सक्षम है राहत कार्यों को चलाने में सरकार भी बिल्कुल सक्षम है परंतु सिंह सेवी संगठनों द्वारा अपने सीमित संसाधनों से जो ही राहत कार्य संपादित कर रहे थे उसे रोक दिया जाना खेद का विषय है।
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