आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी का 100 वा जन्मदिन 7मई वैशाखी पूर्णिमा के दिन श्री श्री आनंदमूर्ति जी का जन्म 1921 में वैशाखी पूर्णिमा के दिन बिहार के जमालपुर में एक साधारण परिवार में हुआ था परिवार का दायित्व निभाते हुए वे सामाजिक समस्याओं के कारण का विश्लेषण उनके निदान ढूंढने में एवं लोगों को योग साधना आदि की शिक्षा देने में अपना समय देने लगे सन 1955 में उन्होंने आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना की श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने समझा कि जिस जीवन मूल्य भौतिकवाद को वर्तमान मानव अपना रहे हैं उनके शारीरिक व मानसिक और ना ही आत्मिक विकास के लिए उपयुक्त है अतः उन्होंने ऐसे समाज की स्थापना का संकल्प लिया जिसमें हर व्यक्ति को अपने सर्वांगीण विकास करते हुए अपने मूल्य को ऊपर उठाने का सुयोग प्राप्त हो उन्होंने कहा कि हर एक मनुष्य को शारीरिक ,मानसिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में विकसित होने का अधिकार है और समाज का कर्तव्य है कि इस अधिकार को ठीक से स्वीकृति दे वे कहते थे कि कोई भी घृणा योग्य नहीं किसी को शैतान नहीं कह सकते मनुष्य जब शैतान या पापी बनता है जब उपयुक्त परिचालन पथ निर्देशन का अभाव होता है वह अपने कूप्रवृत्तियों के कारण बुरा काम कर बैठता है यदि उनकी कुप्रवृत्तियों को सूप्रवृत्तियों की ओर ले जाया जाए तो वह शैतान नहीं रह जाएगा हर एक मनुष्य देव शिशु है इस तत्व को मन में रखकर समाज की हर कर्म पद्धति पर विचार करना उचित होगा
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