रांची,22जनवरी। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को निरस्त करने की मांग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा कार्यकत्र्ताओं ने आज राजभवन के समक्ष धरना दिया। इस मौके पर पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन और विधायक दल के नेता हेमंत सोरेन के अलावा कई विधायक तथा वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बाद में पार्टी की ओर से राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। राज्यपाल के सौंपे गये ज्ञापन में पार्टी की ओर से बताया गया कि झारखंड में संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत छोटानागपूर काश्तकारी अधिनियम, संताल परगना काश्तकारी अधिनियम, विल्किंसन रूल्स और पेसा एक्ट समेत कई पारंपारिक शासन व्यवस्था लागू है, जिसके कारण राज्य में जमीन अधिग्रहण एक गंभीर चुनौती है। झारखंड मुक्ति मोर्चा स्थानीय नीति को परिभाषित किये बिना नियुक्ति प्रक्रिया शुरू किये जाने पर भी नाराजगी जताई है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमा ेप्रतिनिधियों ने राज्यपाल से मिलकर उन्हें यह जानकारी दी कि झारखंड के लोगों की पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्थानीयता को परिभाषित किये बिना सभी प्रकार की सरकारी नौकरियों में बाहर के लोगों को रोजगार देने का निर्णय लिया जा चुका है। हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के लोगों को नौकरी देगी और राज्य के लोगों को मजदूर, रेजा, कुली, मिस्त्री, रिक्शा चालक, ठेला वाला, खोमचा वाला तथा भिखारी बनाकर ही दम लेगी, ताकि लोग मजबूरी तथा भूख के कारण पेशेवर अपराधी, आतंकी एवं समाज विरोध रास्ता अपनाएं। इस मौके पर विधायक स्टीफन मरांडी, चंपई सोरेन, जगरनाथ महतो, वरिष्ठ नेता हाजी हुसैन अंसारी, विनोद पांडेय व सुप्रिया भट्टाचार्य मौजूद थे।
Comments are closed.