जमशेदपुर -राखी मेला में महिलाओं ने की जमकर खरीददारी

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मारवाड़ी महिला मंच का तीन दिवसीय राखी मेले का समापन
जमशेदपुर। मारवाड़ी संस्कृति की झलक खुद में समेटे मारवाड़ी महिला मंच की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राखी मेले का समापन मंगलवार साकची अग्रसेन भवन में हो गया। इस मेले में अंतिम दिन भी मंगलवार को 10 से 50 प्रतिशत तक की छूट अलग-अलग स्टाॅलों पर ग्राहकों को मिली, जिसके कारण अच्छी खासी भीड़ रही। मेले में हुई बिक्री से उत्साही स्टाॅल लगायी महिलाओं ने बताया कि ग्राहकों ने मेले का जम कर लाभ उठाया। खास करयुवतियों ने राखियों के अलावा सजने संवरने के ढेरों सामान खरीदे। मेले का खास आकर्षण मोदी, धोनी समेत कई सेलिब्रिटी के नाम और फोटो के साथ भी विभिन्न किस्म की राखियां थी साथ ही महिलाओं के सजने संवरने के सामानों की अच्छी रेंज मौजूद थी। मात्र 10 रूप्ये में मोदी, धोनी, स्मृति ईरानी समेत कई सेलिब्रिटी के नाम और फोटो के साथ की राखियां खुब बिकी। मेले में खरीददारी करने आयी महिलाओं ने कहा कि मेले में विभिन्न प्रकार के लेटेस्ट डिजाइन के कलेक्शन उचित दर पर एक ही छत के नीचे मिला, इसलिए मेले में भीड़ रही। मेला में तीनों दिन लगभग 1000 से अधिक लोगों की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच मनोज सिंह एवं अमित झा द्धारा किया गया। प्रत्येक दिन चार-चार लक्की ड्रा का भी स्टाॅल लगाले वाली महिलाओं ने लाभ उठाया।
समापन समारोह में अतिथि के रूप में ग्रेजुएट काॅलेज की हिन्दी की प्रोेफेसर मुकुल खंडेलवाल, बालीचेला हाईस्कूल की प्रिसिंपल प्रतिभा सिन्हा एवं वरिष्ठ पत्रकार संजय पांडेय मौजूद थे। अंगदान देहदान स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम उर्मिला मित्तल, द्धितीय अनिता जवानपुरिया एवं तृतीय विजेता तेलंगाना मंचिर्याल से दीपिका सिहोटा रही। अतिथियों ने तीनों को पुरस्कृत किया। अतिथियों ने कहा कि मानवता के लिए देहदान, अंगदान व जीवन दान जरूरी है। जीते जी रक्तदान, मृत्यु के बाद अंगदान जरूर करें। देहदान मानवता को सुखी बनाने का माध्यम है, इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है। देहदान की परंपरा को आगे बढ़ाएं, वरना समाज को अच्छे डॉक्टर नहीं मिल सकेंगे।
प्रथम पुरस्कार का स्लोगन
नहीं देह का मोल कुछ, छूट जाये जो प्राण
खाक में मिलने से बेहतर, जग का हो कल्याण
इसे अगर हम दे दें, अस्पताल को दान
मृत देह का रह जायेगा, दुनिया में सम्मान।
द्धितीय पुरस्कार का स्लोगन
कुंदन समान देह यह,
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हर अंग ज्यों निधि ।
हो न जाए भस्मीभूत यह,
बन जा ए मानव, तू भी दधीचि।
तृतीय पुरस्कार का स्लोगन
अंगदान है दिव्य दान, इसमें कैसा भय
दिव्यांगों के जीवन को यह करता उज्जवल उदय
जीते जी जो कर न सके किसी का जीवन उज्जवल
उससे भी बढ़कर है मृत्यु उपरांत अंगदान का फल ।
इनका रहा योगदानः- तीनों दिन मेले को सफल बनाने में प्रमुख रूप से जया डोकानिया, लता अग्रवाल, विभा दुदानी, बीना खीरवाल, मंजु खंडेलवाल, प्रभा पाडिया, सुशीला खीरवाल, बीना अग्रवाल, मंजु मुसद्दी, रानी अग्रवाल, सीमा जवानपुरिया, सरस्वती अग्रवाल, ममता जालान, सीमा अग्रवाल, उर्मिला मित्तल, निर्मला नरेड़ी, ललिता सरायवाला, सुमित्रा अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, सत्यभामा हरनाथका, संतोष धुत आदि का योगदान रहा।

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