बीजेएनएन ब्यरों ,मई दिल्ली,11 मार्च
15वीं लोकसभा में रिकॉर्ड संख्या में स्नातकोत्तर सांसद थे। 14वीं लोकसभा में 157 सांसद स्नातकोत्तर थे। 15वीं लोकसभा में यह संख्या 256 सांसदों तक पहुंच गई। 15वीं लोकसभा में लगभग 78 प्रतिशत सांसद स्नातक, स्नातकोत्तर या डॉक्टरेट डिग्री धारक थे। पहली लोकसभा में जहां 112 सांसद मैट्रिक पास नहीं थे, वहीं 15वीं लोकसभा में यह संख्या घटकर 20 रह गई।
भारत के संविधान में चुनाव लड़ने के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण नहीं किया गया है, लेकिन रूझान बताते हैं कि पढ़े-लिखे उम्मीदवार अधिक संख्या में विजयी हो रहे हैं। पहली लोकसभा में स्नातक और अधिक शैक्षिक योग्यता वाले सांसद 56 प्रतिशत थे। 15वीं लोकसभा में यह संख्या बढ़कर 78 प्रतिशत हो गयी। पहली लोकसभा में बिना मैट्रिक पास सांसदों की संख्या 23 प्रतिशत से घटकर 15वीं लोकसभा में तीन प्रतिशत रह गयी।
सदन में कई ऐसे सांसद भी हैं, जिन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं की, लेकिन 15वीं लोकसभा में एक भी अशिक्षित सांसद नहीं था। 24 सांसदों के पास तो डॉक्टरेट डिग्री थी। 15वीं लोकसभा में स्नातक सांसद की संख्या में कमी आई और स्नातकोत्तर तथा उच्च डिग्री धारकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई ।
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