
रवि रौशन कुमार
सुपौल ।
सावन महीने के कृष्ण पक्ष पंचमी से आरंभ एवं शुक्ल पक्ष तृतीया को सम्पन्न होने वाली मिथिला संस्कृति व भक्ति का पर्व मधुश्रावणी पूजा प्रारम्भ होते ही उत्साह का माहौल व्यापत है । ।नव विवाहित महिलाओं के द्वारा किये जाने वाले इस पूजा का विशेष महत्व है।नव विवाहित महिलायें प्रात्: ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र गंगा स्नान करने के पश्चात अरवा भोजन ग्रहण कर नहाय खाय के साथ पूजन आरंभ करेंगी।
13 दिन चलेगी पूजा
मधुश्रावणी पूजन का जीवन में काफी महत्व माना जाता है।इसके महत्व को बताते हुए पंडित चन्द्रभूषण मिश्र, अजयकांत ठाकुर ने बताया कि महिलाओं के द्वारा किया जानेवाला यह पति को दीर्घायु तथा सुख शांति के लिये की जाती है।पूजन के दौरान मैना पंचमी, मंगला गौरी,पृथ्वी जन्म,पतिव्रता, महादेव कथा,गौरी तपस्या,शिव विवाह, गंगा कथा,बिहुला कथा तथा बाल वसंत कथा सहित 14 खंडों में कथा का श्रवण किया जाता है।गांव समाज की बुजुर्ग महिला कथा वाचिकाओं के द्वारा नव विवाहिताओं को समूह में बिठाकर कथा सुनायी जाती है।पूजन के सातवें, आठवें तथा नौवें दिन प्रसाद के रुप में घर जोड़,खीर एवं गुलगुला का भोग लगाया जाता है।प्रतिदिन संध्याकाल में महिलायें आरती,सुहाग गीत तथा कोहवर गाकर भोले शंकर को प्रसन्न करने का प्रयत्न करती हैं।
इसपूजनमेंमायकातथाससुरालदोनों

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