LGBTQ+ को मीडिया महज सेक्सुएलीटी के धरातल पर न तौले–हमसफर ट्रस्ट
दिल्ली में आयोजित हुआ LIKHO LGBTQ+, अन्नी, अंतरा समेत झारखंड के 10 पत्रकारों ने लिया भाग
अन्नी अमृता
ANNI AMRITA
नई दिल्ल्ली.
“वो कहते हैं तुम ऐसे हो तुम वैसे हो
मैं कहती हूं कि तुम ऐसे वैसे जैसे हो
तुम बस तुम ही हो
तुम तुम ही रहो”
नई दिल्ली के साकेत इलाके के होटल हिल्टन में मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए
LIKHO LGBTQ+ नाॅर्दन रीजन समिट के आयोजन के शुभारंभ के बाद उपरोक्त पंक्तियां जमशेदपुर/झारखंड की वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने सुनाई.इन पंक्तियों को तालियों की गड़गड़ाहट मिली क्योंकि ये पंक्तिया यह सीख देती है कि बतौर पत्रकार हम किसी को जज न करें बल्कि जो जैसा है उसकी आवाज बनें.हालांकि पत्रकार भी एक इंसान होता है और समाज की सोच का असर होता है लेकिन कोशिश यही होनी चाहिए कि निजी या सामाजिक सोच हावी न हो.आज LGBTQ+ समुदाय के बारे में काफी बातें हो रही हैं,इनमें से थर्ड जेंडर को सुप्रीम कोर्ट ने 2014से मान्यता भी दे दी.लेकिन महज कानूनी अधिकार काफी नहीं बल्कि समाज में स्वीकार्यता भी अहम है.इसमें मीडिया का अहम रोल होता है.इसी को ध्यान में रखते हुए हमसफर ट्रस्ट और नेटरीच ने नई दिल्ली के होटल हिल्टन गार्डेन इन में मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए नाॅर्दन रीजन समिट का आयोजन किया.कार्यक्रम में ट्रस्ट से जुडे प्रतिनिधियों, एलजीबीटीक्यूप्लस के लिए आवाज उठानेवाले विवेक, मनोज परदेसी, याज्ञवेन्द्र, निखिल और अन्य ने कहा कि मीडिया जितनी संवेदनशीलता के साथ इस समुदाय के बारे में लेखन प्रस्तुत करेगा न सिर्फ कई प्रकार की भ्रांतियां दूर होंगी बल्कि एक इंसान और भारतीय होने के नाते LGBTQ+समुदाय सहज जिंदगी जी सकेंगे.मीडिया की कलम में वह ताकत है कि वह लोगों के माइंड सेट बदल सकती है.
कार्यक्रम में वक्ताओं ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि कैसे ज्यादातर मीडिया एलजीबीटीक्पू प्लस समुदाय से संबंधित खबरों को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर लिखता है, जैसे–गे पार्टनर की हत्या, समलैंगिक हुए लूटपाट का शिकार, गे फिल्म मेकर ने बनाई फिल्म…..वक्ताओं ने कहा कि इस समुदाय के लोगों को महज सेक्सुएलिटी के तराजू में तौलकर लिखा जाता है जो गलत है.एक गे फिल्ममेकर भी किसी दूसरे फिल्म मेकर की तरह या उससे ज्यादा प्रतिभावान हो सकता है.उस शीर्षक में ‘गे’ का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं था फिर भी मीडिया गाहे बगाहे इस्तेमाल करता ही है.
झारखंड से 10पत्रकारों और बिहार से एक पत्रकार ने लिया भाग
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इस समिट में झारखंड से इन पत्रकारों ने भाग लिया—पूजा भारती,लता रानी, अन्नी अमृता, अंतरा बोस, विनय कुमार मुर्मू, सचिन गोस्वामी, चंदन चौधरी,विनय कुमार, मनीष झा और सुभाष शेखर.वहीं पटना से जूही ने शिरकत किया.वरिष्ठ पत्रकार सह यू ट्यूब चैनल टीवीसी की संस्थापक
अंतरा बोस ने कार्यक्रम में बताया कि वे बतौर गूगल मीडिया लिटरेसी ट्रेनर किस प्रकार ट्रांसजेंडर समुदाय को जागरुक कर रही हैं.वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता, लता रानी और झारखंड/बिहार के अन्य पत्रकारों ने भी एलजीबीटीप्लस समुदाय के हित से जुडे मुद्दों पर अपनी सलाहें देने के साथ साथ इस समुदाय से जुडी मीडिया न्यूज कवरेज को संक्षिप्त में साझा किया.
कार्यक्रम का संचालन हमसफर ट्रस्ट की रीजनल प्रोग्राम मैनेजर (N and E) आकृति कपूर ने किया.कार्यक्रम में अतिथियों ने एलजीबीटी समुदाय से जुडे लीगल अपडेट साझा किए.वक्ता ओं ने खुलकर एच आई वी और एड्स पर बातचीत की.हालांकि वक्ताओं ने कहा कि एलजीबीटीक्यूप्लस समुदाय के बारे में यह मिथ है कि वह एच आई वी का करियर है.दर असल इस समुदाय में शिक्षा और अवसर के अभाव की वजह से कई लोग आजीविका के लिए ऐसा रास्ता पकड लेते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है.कई जब एच आईवी के शिकार हो जाते हैं तब वे अपने अधिकारों के बारे में भी नहीं जानते. ऐसे में मीडिया में जागरूकता भरा लेखन लोगों को जागरूक कर सकता है.
इस समिट में उत्तर और पूर्वी क्षेत्र के राज्यों कश्मीर, त्रिपुरा, बिहार, यूपी, झारखण्ड और अन्य इलाकों से पत्रकारों ने भाग लिया.
मीडिया में नियमित कवरेज का अभाव
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वक्ताओं ने कहा कि LGBTQ+जिस प्रकार समाज में हाशिए पर है, मीडिया में भी हाशिए पर हैं.स्कूल काॅलेज में ऐसे बच्चों या युवाओं को सपोर्ट नहीं मिलता, कई संस्थानों में नहीं मिलता मगर मीडिया में इस समुदाय, उससे जुडी परेशानियों के लिए नियमित जगह नहीं होती.
फिर मिलेंगे, इसी वायदे के स्वास्थ्य इस समिट का समापन हो गया.
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