
मधुबनी, बिहार: बिहार के मधुबनी ज़िले के लालगंज गांव में स्थित एक छोटा-सा बगीचा इन दिनों पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कोई साधारण बाग नहीं, बल्कि एक जैव विविधता से भरा फलोद्यान है, जिसे स्थानीय किसान अविनाश कुमार ने अपने पुश्तैनी आवास की ज़मीन पर खड़ा किया है।


इस बगीचे की सबसे खास बात यह है कि इसमें 30 से अधिक किस्मों के फल उगाए जा रहे हैं, जिनमें 22 दुर्लभ देशी और विदेशी किस्मों के आम शामिल हैं। अविनाश का यह बगीचा सिर्फ उपज के लिए नहीं, बल्कि प्रकृति और परंपरा के संरक्षण का भी प्रतीक बन गया है।
मियाजाकी आम बना आकर्षण का केंद्र
बगीचे का सबसे बड़ा आकर्षण जापान का विश्वप्रसिद्ध और महंगा मियाजाकी आम है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत ₹2.5 लाख प्रति किलो तक जाती है। दो साल पहले अविनाश के माता-पिता ने इसका पौधा प्रेमपूर्वक लगाया था, और इस साल पहली बार इसमें 6 फल लगे हैं। हर फल को मच्छरदानी से ढँक कर विशेष सुरक्षा दी गई है।
इसके अलावा बगीचे में रेड पाल्मर, नैम डोक माई, केसर, चौसा, दशहरी, अल्फांसो जैसी प्रीमियम आम की किस्में भी मौजूद हैं।
देसी फलों की बहार
बगीचे में आम के अलावा अमरूद की 8 किस्में, चीकू, शरीफा, अंजीर, अनार, लीची, नाशपाती, जामुन, फालसा, सेब, सिताफल, बेल, करौंदा, जंगल जलेबी, स्टार फ्रूट और केले जैसे ढेरों फल उगाए जा रहे हैं। यहां का पर्यावरण इतना संतुलित है कि 10 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ भी रोज़ाना बगीचे में दिखाई देती हैं।
ग्रामीण नवाचार की मिसाल
अविनाश कुमार कहते हैं:
“यह बगीचा केवल फलों का संग्रह नहीं, बल्कि हमारी विरासत और प्रकृति के प्रति प्रेम का प्रतीक है। हमारा उद्देश्य है कि युवा पीढ़ी फिर से प्रकृति से जुड़े और जैव विविधता को समझे।”
इस फलोद्यान को देखने के लिए अब आसपास के गांवों से किसान, पर्यावरण प्रेमी, और फल वैज्ञानिक लगातार आ रहे हैं। बिहार में यह एक मॉडल बाग बन चुका है, जो यह साबित करता है कि नवाचार, धैर्य और जुनून से ग्रामीण भारत में भी वैश्विक स्तर की खेती संभव है।