
राज कूमार झा.

मधुबनी। वर्ष 2000 में झंझारपुर कोर्ट में दर्ज एक मामले में एसडीजेएम सह न्यायीक दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा द्वारा झंझारपुर थाना के तत्कालिन थानाध्यक्ष कमरुल होदा, दो जमादारों एवं एक आरक्षी के विरुद्ध कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने पर कुर्की जब्ती करने का आदेश दिया।
क्या है मामला:
इस मामले की शुरुआत चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार पर कथित हमला है। इस मामले में झंझारपुर नगर पंचायत क्षेत्र के बेलाराही गांव निवासी भाकपा माले नेता विजय दास द्वारा कोर्ट नालिसी दर्ज कराया गया था। इस नालिसी सं. 670/2000 में झंझारपुर थाना के तत्कालिन थानाध्यक्ष कमरुल होदा, जमादारों में परमहंस ¨सह एवं केदार राय के साथ ही दफादार महेन्द्र महतो को मुदालह बनाया गया था। इसमें माले नेता श्री दास ने मुदालहों पर आरोप जगाया था कि नवानी गांव में सांसद के ऐच्छिक कोष से चला जा रहे योजना में की गई घपला की जांच निगरानी विभाग द्वारा किया गया था। जिसकी खबर एक अखबार में छपा था। उसके बाद अखबार नवीश सुमन कुमार लाल पर दो लोगों द्वारा जानलेवा हमला किया गया था। जिस पर सुमन कुमार लाल ने हमलावर को नामजद अभियुक्त बनाते हुए उनके विरुद्ध थाना में कांड सं. 104/2000 दर्ज कराया था। किन्तु थाना प्रभारी द्वारा उस केस में उचित कार्रवाई नहीं किए जाने पर भाकपा माले, एसएफआई, डीवाईएफआई एवं रिक्शा-ठेला मजदूर संघ द्वारा संयुक्त रूप से असामाजिक तत्वों एवं पुलिसिया जूर्म के खिलाफ 22 अगस्तए 2000 को अनुमंडल कार्यालय पर प्रदर्शन करने का निर्णय किया था। प्रदर्शन प्रारंभ होने से पूर्व ही स्थानीय एवं बाहरी पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज की गई थी। जिसमें कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। इसके बाद विजय दास, योगनाथ मंडल, रामसरण महतो, ज्ञानचन्द सदाय आदि को गिरफ्तार कर थाना में ले जाकर मारपीट करने एवं पैसा और घड़ी छीनने का भी आरोप लगाया गया था। इस मामले में मुदालह दफादार महेन्द्र महतो जमानत पर है। किन्तु थानाध्यक्ष, दोनों जमादार एवं आरक्षी द्वारा कोर्ट के आदेशों के बाद वारंट एवं गैर जमानत वारंट के बावजूद वर्ष 2000 से लेकर अभी तक कोर्ट में हाजिरी नहीं दी गई। इसे कोर्ट ने अपने आदेश का अवमानना मानते हुए इन चारों मुदालहों के विरुद्ध कुर्की जब्ती का आदेश दिया है।

