मधेपुरा-धुमधाम से मनाया करवा चौथ

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SANJAY KUMAR SUMAN

संजय कुमार सुमन
मधेपुरा
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाने वाला करवा चौथ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में आज बड़े ही धूम धाम से महिलाओ ने मनाया। आकर्षक परिधानो में सजी संवरी महिलाओ ने संध्या में करवा चौथ की कथा सुनी और रात्रि में चाँद दर्शन के बाद अपना व्रत तोड़ी। जिनका पहला व्रत था वे फूले नही समा रहे थे। करवा चौथ कई रूप में मनाया जाता है। इसे करक, करवा, करूआ या करूवा अनेक नामों से जाना जाता है। कई स्थानों पर इसे करवा गौर के नाम से भी पहचाना जाता है।
करवा मिट्टी या धातु से बने हुए लौटे के आकर के एक पात्र को कहते हैं, जिसमें टोंटी लगी होती है। करवा चौथ का व्रत स्त्रियां अपने सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए रखती हैं। शास्त्रों में दो विशिष्ट संदर्भों की वजह से करवा चौथ व्रत के पुरातन स्वरूप का प्रमाण मिलता है। इस व्रत के साथ शिव-पार्वती के उल्लेख की वजह से इसके अनादिकाल का पता चलता है। इस पर्व को महिलाएँ एवं कन्याएं भी करती है।
निर्जला एकादशी व्रत की तरह यह व्रत भी निराहार व निर्जला होता है। सौभाग्यवती महिलाएं चंद्रदर्शन के पश्चात व्रत तोड़ती हैं और कन्याएं आसमान में पहले तारे के दर्शन के बाद व्रत समाप्त करती हैं। संभव है कि लोकोक्ति ‘पहला तारा मैंने देखा, मेरी मर्जी पूरी’ इस व्रत के कारण ही शुरू हुई हो।
करवा चौथ व्रत के संदर्भ में व्रती मंजूलता भारती,उषा रानी,ललिता कुमारी,खेमलता देवी कहती हैं कि इस पर्व में शिव, पार्वती, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस व्रत के लिए चंद्रोदय के समय चतुर्थी होना जरूरी माना गया है। इस व्रत में करवे का विशेष रूप से प्रयोग होता है। महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं और चंद्रोदय के बाद भोजन-जल ग्रहण करती है। सुहागनों के लिए सभी व्रत और त्योहार खास होते हैं, लेकिन करवा चौथ का व्रत सबसे खास होता है। ये व्रत वे अपनी पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं। नवविवाहित औरतों के लिए ये व्रत काफी अहम होता है।वैसे तो कई औरतें शादी से पहले भी ये व्रत रखती हैं, लेकिन शादी के बाद का पहला करवा चौथ उनके लिए अलग ही अहसास लेकर आता है।

औरतें इस दिन सबसे खूबसूरत और खास दिखना चाहती हैं। जिनका पहला करवा चौथ होता है वे तो दुल्हन की तरह तैयार होती हैं। लाल रंग का जोड़ा शगुन के तौर पर माना जाता है। इसके अलावा कई और रंग हैं जो इस दिन पहने जाते हैं। जिनका पहला करवा चौथ है उन्हें कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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ज्यादातर औरतों को पहले से ही पता होता है कि उन्हें क्या करना है, लेकिन नई दुल्हनों को कई बातों की जानकारी नहीं होती है। ऐसे में हम उन्हें आज बताते हैं कि उन्हें इस दिन क्या क्या करना चाहिए।

क्यों खास है पहला करवा चौथ:-

अगर आप पहली बार करवा चौथ कर रही हैं तो आपके साथ-साथ आपके ससुराल वालों के लिए भी ये खास है। नवविवाहित की सास भी उसके साथ व्रत की तैयारियों में जुट जाती हैं। सुबह सरगी के साथ दिन की शुरुआत होती है। उसके बाद पूरे दिन तरह-तरह के व्यंजन बनते हैं और मिठाईयां बनती है। दूध और फेनी की मिठाई बनती है। दुल्हन की तरह नवविवाहिता तैयार होती हैं। ससुराल वाले अपनी बहू को कुछ खास चीजें देती हैं। जोड़ा और गहने। लेकिन कई लोगों में उनके माइके से जोड़े और तोहफों देना का रिवाज होता है।
शाम को स्त्रियां पूजा करके चंद्रमा को अर्क देकर अपने पति की पूजा करती हैं और उनके हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। वैसे तो पहला करवा चौथ बहुत खास होता है और शगुन का भी बहुत ध्यान रखा जाता है। यह एक बेटी के लिये बहुत महत्वपूर्ण है, एक बहू के लिए और सबसे ज्यादा एक पत्नी के लिए।
आज महिलाओ ने संध्या में करवा चौथ व्रत की कथा सुनी और चाँद दर्शन के बाद अपने पति का चेहरा देखकर व्रत को तोड़ी।

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