पटना | यह सही है की हर बात में जिद अच्छी नहीं होती है | लेकिन कभी कभी यह
बड़े से बड़े काम की वजह बन जाती है | हिन्दी में लिखी गई एक याचिका (एसएलपी)
को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह बात सच हुई है | सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दी में लिखी याचिका को न केवल सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया
बल्कि हिन्दी में बहस सुनने पर भी सहमति दे दी है | मामले को मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के विचाराथ भेज दिया गया है | पटना हाईकोर्ट के एक वकील इन्द्र देव प्रसाद ने इसी साल जनवरी में हिन्दी में तैयार की गई एक लोकहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी | पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दी में लिखी इस याचिका पर ऐतराज़ जाहिर कर इसे त्रुटिपूर्ण करार दे दिया | वकील के अनुरोध पर मामले को बेच में रखा गया | 1 अगस्त को यह मामला न्यायाधीश कुरियन जोसेफ की अदालत में सूचीबद्ध हुआ | जस्टिस जोसेफ ने कहा की याचिका हिन्दी में रहने के कारण त्रुटिपूर्ण रह गई | इसे सशोधित कर अथार्त अंग्रेजी में अनुवाद करके लाइये | इस पर वकील ने कहा की में याचिका का अनुवाद कराने नहीं आया हु | इसी लड़ाई के लिए तो में यहाँ आया हुआ हु | वकील के जिद पर अड़े रहने पर जस्टिस कुरियन ने कहा की वे इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के विचाराथ भेज रहे है
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