जामताड़ा।
जामताड़ा जिला में पुलिस लाइन निर्माण कार्य में लापरवाही और लेटलतीफी के कारण कार्यकारी एजेंसी एनपीसीसी पर कार्रवाई तेज होने की संभावना बढ़ गई है। 50 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में 3 वर्ष बीत जाने के बाद मात्र 18% कार्य पूरा हुआ है। शेष 82% कार्य अब तक नहीं हो पाया है। जबकि 2 वर्ष में कार्यकारी एजेंसी को 20 बिल्डिंग बना कर तैयार करना था। लेकिन 3 वर्ष बीत जाने के बाद मात्र पांच बिल्डिंग का निर्माण हुआ है, जिसमें सिर्फ ढांचा तैयार हुआ है। शेष कार्य अभी बाकी है। वही एक बिल्डिंग के निर्माण में घटिया स्तर के मटेरियल का उपयोग किया गया था। जिसकी शिकायत मिलने के बाद कार्यकारी एजेंसी के विरुद्ध हाउसिंग बोर्ड ने कार्रवाई तेज कर दी और एजेंसी को डिबार कर काम को रिसाइन कर दिया गया। साथ हीं संवेदक को ब्लैक लिस्टेड करने के साथ हीं पेनाल्टी लगाने की भी प्रक्रिया शुरू हो गई है।
पुलिस हाउसिंग बोर्ड के नियमानुसार संवेदक की ओर से जितना कार्य किया गया है उसकी अंतिम माफी ले ली गई है। उस आधार पर उसका बिल भुगतान के लिए तैयार किया जाएगा। जितना प्रतिशत कार्य अब तक अपूर्ण है उसको लेकर संवेदक पर पेनल्टी लगाया जाएगा। और अगर वह पेनल्टी उनके किए गए कार्य के भुगतान से कम हुआ तो उतनी राशि की कटौती कर उन्हें भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन अगर पेनल्टी उनके बिल से अधिक होता है तो उतनी राशि का भुगतान कार्यकारी एजेंसी को करना पड़ेगा।
यह है मामला:
वर्ष 2018 के 19 सितंबर को पुलिस लाइन निर्माण का कार्यकारी एजेंसी एनपीसीसी के साथ हाउसिंग बोर्ड का एग्रीमेंट हुआ था। जिसे 7 सितंबर 2020 तक पूरा किया जाना था। लेकिन 4 अक्टूबर 2021 तक निर्माण कार्य पूरा होना तो दूर, आधा कार्य भी एजेंसी नहीं कर पाई है। 4 अक्टूबर को हाउसिंग बोर्ड की ओर से कार्यस्थल का फाइनल मेजरमेंट ली गई। जिसमें मात्र 18% कार्य पूरा होने की बात सामने आई है। शेष 82 प्रतिशत काम होना अभी बाकी है। जिसके लिए हाउसिंग बोर्ड अब नए सिरे से कार्यकारी एजेंसी को तलाशेगी। बता दें कि लगभग 50 करोड़ की लागत से पुलिस लाइन का निर्माण कार्य होना था। जिसमें एजेंसी को अब तक 7 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
कार्यपालक अभियंता रवि चौधरी ने कहा कि बिल बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। अंतिम मापी से संबंधित रिपोर्ट हाउसिंग बोर्ड को दे दिया गया है और उनकी सिक्योरिटी को फिलहाल फ्रीज कर दिया गया है। बिल तैयार होने के बाद देखा जाएगा कि डिलेय के कारण जो काम अवरूद्ध हुआ है उसकी पेनल्टी कितनी बनती है। अगर पेनाल्टी ज्यादा हुआ तो संवेदक को उसका भुगतान करना पड़ेगा अन्यथा उतनी राशि काट कर एजेंसी को भुगतान किया जाएगा।
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