Jamshedpur Workers College:बांग्ला विभाग के द्वारा गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की जयंती मनाई

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जमशेदपुर।

 जमशेदपुर वर्कर्स महाविद्यालय के आई. क्यू ए. सी. सेल एवं कल्चरल सेल के सहयोग से बांग्ला विभाग के द्वारा गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में करीम सिटी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. मो. ज़करिया शामिल हुए। कार्यक्रम के आरंभ में जमशेदपुर वर्कर्स महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.डॉ. सत्यप्रिय महालिक ने पुष्प गुच्छ प्रदान कर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। तत्पश्चात मुख्य अतिथि एवं प्राचार्य महोदय के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। प्रो. परिमलपति ने सभी का स्वागत किया एवं बांग्ला विभाग के प्रो. मिलन मोहंती ने कार्यक्रम के बारे में बताते हुए गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. डॉ. सत्यप्रिय महालिक ने अपने संबोधन में रवींद्रनाथ ठाकुर के उड़ीसा से संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि रवींद्रनाथ जी ने अपनी अधिकांश रचनायें उड़ीसा में रहते हुए की हैं। गजपति पुरी राजा के द्वारा उनको ‘परमगुरु’ की उपाधि दी गई। युगद्रष्टा गुरुदेव प्रत्येक ऋतु का उत्सव मनाया करते थे और इसी प्रकृति प्रेम के कारण उन्होंने पेड़ पौधों से घिरे जगह पर शांति निकेतन की स्थापना की। प्रकृति के प्रति उनकी सजगता वर्तमान में और अधिक प्रासंगिक है।

मुख्य अतिथि करीम सिटी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. मो. ज़करिया ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि रवींद्रनाथ का साहित्य व्यक्ति के जीने का अंदाज़ बदल देता है। हम सभी जीवन मे कभी निराश होते हैं तो गुरुदेव की कविता मुश्किलों से पार पाने की ताक़त देती है। गीतांजलि के एक सौ तीन नज़्मों को कई बार पढ़ने के बाद ऐसा लगने लगा है जैसे गुरुदेव अपने शायर हैं। उन्होंने आगे बताया कि कोरोना काल में अपने दो अग्रज सहोदर भाइयों को खोने के बाद अवसाद की स्थिति आ जाती यदि गुरुदेव की कृति ‘गीतांजली’ का सहारा नहीं होता। इसी कोरोना काल में गीतांजली पर आधारित अपने नज़्मों की उन्होंने रेकॉर्डिंग की और इस तरह से गीतांजली उर्दू ज़बान में भी गीत के रूप में लोगों के लिए उपलब्ध हो पाई है। छात्र नेता बपन घोष ने भी गुरुदेव के प्रति अपने उद्गार को व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. जावेद अख़्तर अंसारी ने किया धनयवाद ज्ञापन प्रो. हरेन्द्र पंडित ने किया। कल्चरल सेल की कॉर्डिनेटर प्रो. कुमारी प्रियंका ने इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग दिया। इस कार्यक्रम में स्वागत गीत सौरभ ने प्रस्तुत किया। कल्चरल सेल की को-कॉर्डिनेटर प्रो. मोनीदीपा दास तथा छात्र आकाश ने गुरुदेव की कविता प्रस्तुत की । इस अवसर पर महाविद्यालय के अनेक शिक्षक एवं छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।

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