जमशेदपुर
शास्त्रीय संगीत को समर्पित संस्था जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल के द्वारा शहर के ग़ज़ल प्रेमियों के द्वारा निरंतर मांग को देखते हुए संस्था के द्वारा पहली बार ग़ज़ल महोत्सव का कार्यक्रम “ग़ज़ल बहार ” का आयोजन आज माइकल जॉन सभागार , बिष्टुपुर में में किया गया . कार्यक्रम में शहर के जाने माने ग़ज़ल गायकी में देश एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर शहर का नाम रौशन करने वाले कलाकारों ने अपनी ग़ज़ल की प्रस्तुति से समां बांधे रखा . कार्यक्रम का शुभारम्भ अध्यक्ष अनिरुद्ध सेन व उपाध्यक्ष विभा मिश्रा , पूर्वी घोष के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया तत्पश्चात ग़ज़ल की महफ़िल सजी . इससे पूर्व जाने माने बोलीवुड के गायक स्वर्गीय कृष्णकुमार कुन्नाथ (केके) के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन रखा गया .
कार्यक्रम की पहले फनकार बिरेन्द्र उपाध्याय ने अपनी प्रस्तुति में “ज़ज्बातों को दबाने की क्यों कसम खाई मैंने…….” , “एहदे मस्ती है लोग कहते हैं……..” एक से बढकर एक ग़ज़ल पेश किये एवं अंत में “प्यार भरे दो शर्मीले नैन…….” की प्रस्तुति के साथ अपने प्रस्तुति का समापन किये . उनके साथ तबले पर रितोर्शी गांगुली ने सराहनीय संगत किये . उपस्थित दर्शकों ने संग-संग गुनगुनाया- एहदे मस्ती है लोग कहते हैं……..” ।
दूसरी प्रस्तुति में फनकार मनमोहन सिंह ने अपनी प्रस्तुति में “कच्ची दीवार हूं ठोकर ना लगाना……” , “दर्द दिल में बसा दिया तूने……” , “कितने परवाने जले राज़ ये……” एक से बढ़कर एक ग़ज़ल पेश किये अंत में मशहुर ग़ज़ल “वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की……” के साथ अपनी प्रस्तुति का समापन किये . तबले पर अमिताभ सेन ने सराहनीय संगत किये . सभागार में उपस्थित मनमोहन के गजलों पर बुजुर्गों के सिर भी हिलते रहे और युवतियों के चेहरे पर भी खूब चमक दिखती रही। मतलब साफ था इश्क में रूठने-मनाने के दरम्यान मनमोहन की गजल हर पीढ़ी के लोग लुत्फ़ उठा रहे थे ।
कार्यक्रम में तीसरी फनकार के रूप में मौमिता दास कुंडू ने अपनी प्रस्तुति में “आँख से दूर न हो ……” , “नियत ए शौक़ ……” , “फिर सावन रुत की …..” एक से बढ़कर एक पेश किये . अंत में मशहुर ग़ज़ल “प्यार का पहला ख़त ……” की प्रस्तुति के साथ अपने गायकी का समापन किये . उनके साथ तबले पर प्रदीप भट्टाचार्जी ने सराहनीय संगत किये . मौमिता ने अपने दर्शकों को अपनी उन सभी ग़ज़लों को सुनाया जिसकी दीवानगी सिर पर चढ़ कर बोलती रही है।
कार्यक्रम के अंतिम फनकार के रूप में मशहुर ग़ज़ल गायक सुजन चटर्जी ने अपनी प्रस्तुति में “वो दिल नवाज़ है …….” , “आँख के शीशो में पहले ……” , एक से बढकर एक ग़ज़ल पेश किये . अंत में “उनसे नैन मिलाकर देखो…….” ग़ज़ल के साथ उन्होंने अपनी प्रस्तुति को विराम दिए . तबले पर अमिताभ सेन एवं रितोर्शी गांगुली ने सराहनीय संगत किये . सुजन ने गायिकी की ऐसी मंदाकिनी बहाई जिसमें श्रोता बहते रहे। सभागार खचाखच भरा तो भरा लोग खड़े रहकर भी उनको सुनने को आतुर रहे। सुजन की एक के बाद एक गजल रात को हर किसी को उसकी उन यादों में ले जा रहा था जो मजेदार रही है। ऐसे में ये हमेशा याद रखने वाली खुशनुमा शाम बन गई। कार्यक्रम के बाद जब लोग निकल रहे थे तो कई गजलें लोगों के अंदर लय के साथ शामिल रहीं और लोग सुजन चटर्जी को गुनगुनाते हुए घर लौटे।
सभी ग़ज़ल फनकारों के साथ अन्य सह-कलाकार के रूप में सिंथिसेजेर पर स्वपन तिवारी , गिटार पर स्टीवन क्रूज़ , ओक्टोपैड पर कौशिक दास एवं बांसुरी पर अशोक दास ने सराहनीय संगत किये . कार्यक्रम से पूर्व सभी कलाकारों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया .
कार्यक्रम के पश्चात जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल के द्वारा Covid-19 के दौरान जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल के ऑनलाइन मंच पर शहर के 56 बाल एवं उभरते हुए कलाकारों को संस्था की ओर से कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया . मंच संचालन सुजीत रॉय एवं पद्मा झा ने किया । कार्यक्रम के पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अंशों को कैलिफ़ोर्निया टेलीविज़न अमेरिका के ऑनलाइन प्लेटफार्म पर शीघ्र ही प्रसारित किया जायेगा .
कार्यक्रम के सफल आयोजन में सुभाष बोस , अशोक कुमार सिंह , सौरव लहेरी , अनिल कुमार सिंह , दीप कुमार मित्रा के साथ साथ संस्था के कई सक्रीय सदस्यों का सहयोग रहा .
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