Jamshedpur Today News : अब ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में होगा कमर्शियल वाहनों का फिटनेस

महज एक हजार से डेढ़ हजार में मिलेगा फिटनेस सर्टिफिकेट

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जमशेदपुर : केन्द्र सरकार के परिवहन मंत्रालय ने पिछले साल कमर्शियल वाहनों का फिटनेस टेस्ट ऑटोमेटेड (स्वचालित) टेस्टिंग सेंटर में कराना अनिवार्य कर दिया है.केंद्र सरकार के परिवहन मंत्रालय ने मोटर व्हेकिल एक्ट (एमवीएक्ट), 1989 की धारा 56 की उप धारा1 में संशोधन करते हुए पिछले साल 23 सितंबर 2021, को इससे जुड़ी अधिसूचना भी जारी कर दी. अधिसूचना के मुताबिक 25 सितंबर, 2021 के बाद से सभी कमर्शियल वाहनों को ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है. झारखंड में चार ऐसे ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटरों को मान्यता दी गई है जिनमें से एक जमशेदपुर,एक धनबाद और दो रांची में है. पूर्वी सिंहभूम जिले के लिए यूनिवर्सल ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर को अधिकृत ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर घोषित किया गया है. ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में वाहनों की ऑटोमेटिक मशीन (जो कि केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत एजेंसी आईसीएटी द्वारा मान्यता प्राप्त है) द्वारा वाहनों की जांच होगी जिसके बाद फिटनेस सर्टिफिकेट निर्गत किया जाएगा. कमर्शियल वाहनों के मालिक यूनिवर्सल ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में जाकर अपने कमर्शियल वाहनों की फिटनेस की जांच करा सकते हैं. लोगों ने कराना शुरू भी कर दिया है.यूनिवर्सल ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर गालूडीह से सात किलोमीटर पहले जमशेदपुर की तरफ आमचुरिया ग्राम में स्थित है. यहां टेस्टिंग काफी किफायती है. इसमें लाइट कमर्शियल व्हेकिल और मीडियम व हैवी कमर्शियल व्हेकिल का फिटनेस सर्टिफिकेट मिल जाता है.

वाहन मालिकों को होगी सहूलियत
केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत फिटनेस सेंटर खुल जाने से फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल करना अब आसान हो गया है. व्यावसायिक वाहन मालिकों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल करना बड़ी समस्या बन गई थी.

ऑटोमेटड टेस्टिंग के कई फायदे
कमर्शियल वाहनों की ऑटोमेटेड टेस्टिंग के कई फायदे हैं. पहले तो इसमें समय की काफी बचत हो जाती है. इसके अलावा सारी जांच प्रक्रिया मशीनों के जरिए होती है. वाहन की हालत के बारे में सटीक जानकारी वाहन मालिक को मिल जाती है. साथ में ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर में टेस्ट कराने का शुल्क भी काफी कम है जिससे यह किफायती भी है. वाहनों की सभी त्रुटियां जो सड़क दुर्घटना का कारण बन सकती हैं, उन्हें उजागर किया जाता है. जो वाहन सड़क पर चलने योग्य हैं, उन्हें ही सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. वाहन की फिटनेस सही रहने से सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी.
राज्य सरकार को भी मिलेगा राजस्व
कमर्शियल वाहनों के मालिकों को आठ साल की अवधि में हर दो साल में एक बार और आठ साल से पुराने वाहनों को हर साल फिटनेस करानी पड़ती है. इस प्रकार फिटनेस सेंटर के माध्यम से राज्य सरकार का राजस्व भी बढ़ता है.

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