
जमशेदपुर।
झारखंड सरकार द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) से मैथिली, अंगिका, भोजपुरी, मगही और भुमिज जैसी क्षेत्रीय भाषाओं को हटाए जाने के निर्णय ने राज्यभर में रोष फैला दिया है। इसी क्रम में कोल्हान मिथिला समाज के बैनर तले बिष्टुपुर क्लब हाउस में एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस फैसले का कड़ा विरोध दर्ज किया गया।


बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि जब ये भाषाएं राज्य की द्वितीय राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त हैं, तो फिर उन्हें TET परीक्षा से बाहर रखना सीधा-सीधा भाषिक भेदभाव और समाज की सांस्कृतिक उपेक्षा है।
निर्णय और अगला कदम:
कोल्हान मिथिला समाज जमशेदपुर के उपायुक्त को ज्ञापन सौंपेगा, जिसमें इस फैसले को वापस लेने की मांग की जाएगी। इसके साथ ही समाज का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य के शिक्षा मंत्री श्री रामदास सोरेन से मिलकर अपनी बात रखेगा।साथ ही मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से मिलने का भी समय मांगा जाएगा ताकि उन्हें सीधे इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत कराया जा सके। मिथिला समाज का कहना है कि यह सिर्फ एक भाषा या परीक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज की पहचान, अस्मिता और अधिकारों से जुड़ा विषय है। बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि अगर सरकार ने इस मांग को गंभीरता से नहीं लिया, तो समाज राज्यव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
उपस्थित संगठन:
इस बैठक में जमशेदपुर और आसपास के क्षेत्रों के कई प्रमुख सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:
मिथिला नवयुवक संघ
धर्म रक्षिणी पौरोहित्य महासंघ
मिथिला विकास मंच, गम्हरिया
मिथिला युथ कमिटी, गोविंदपुर
मिथिला विकास संघर्ष समिति
मिथिला सांस्कृतिक विचार मंच
मिथिला राज्य निर्माण समिति
तथा अन्य संगठन और गणमान्य नागरिक।
बैठक का संचालन पं. बिपिन झा और शिव चंद्र झा ने किया। उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति की उपेक्षा स्वीकार नहीं की जाएगी। सरकार को संविधानिक मान्यता प्राप्त इन भाषाओं को सम्मानपूर्वक TET परीक्षा में शामिल करना ही होगा।