रांची।
झारखंड की राजनीति और शिक्षा जगत के लिए आज का दिन बेहद दुखद रहा। राज्य के स्कूली शिक्षा एवं निबंधन मंत्री तथा घाटशिला विधानसभा के विधायक रामदास सोरेन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती थे, जहां डॉक्टरों की टीम लगातार उनका उपचार कर रही थी, लेकिन 2 अगस्त से जारी इस संघर्ष के बाद उन्होंने शुक्रवार को अंतिम सांस ली।
बड़े पुत्र सोमेश ने सोशल मीडिया पर दी पिता के निधन की सूचना
झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के बड़े पुत्र सोमेश सोरेन ने सबसे पहले अपने पिता के निधन की जानकारी सार्वजनिक की। रात लगभग 10:46 बजे उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर रामदास सोरेन के आधिकारिक हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा— “अत्यंत दुख के साथ यह बता रहा हूं कि मेरे पिताजी, रामदास सोरेन जी अब हमारे बीच नहीं रहे।” यह संदेश सामने आते ही उनके समर्थकों और शुभचिंतकों में शोक की लहर दौड़ गई।
झामुमो के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस दुखद समाचार की पुष्टि की। उन्होंने लिखा — “आप सभी को अत्यंत दुःख के साथ यह सूचना साझा कर रहा हूँ कि राज्य के स्कूली शिक्षा व निबंधन मंत्री तथा घाटशिला विधानसभा के विधायक माननीय रामदास सोरेन जी अब हम सबके बीच नहीं रहे। यह हम सभी के लिए एक व्यक्तिगत और अपूरणीय क्षति है।”
षाड़ंगी ने आगे कहा कि मंत्री के लाखों चाहने वाले, शुभचिंतक, कर्मठ कार्यकर्ता, विभाग के सहयोगी और पूरा झामुमो परिवार गहरे सदमे में है। उन्होंने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति आभार जताया, जिन्होंने दिन-रात इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन ईश्वर की इच्छा के आगे सभी असहाय रहे।
आप सभी को अत्यंत दुःख के साथ यह सूचना साझा कर रहा हूँ कि राज्य के स्कूली शिक्षा व निबंधन मंत्री तथा घाटशिला विधानसभा के विधायक माननीय @RamdassorenMLA जी अब हम सबके बीच नहीं रहे।
उनके लाखों चाहने वालों, शुभचिंतकों, कर्मठ कार्यकर्ताओं, स्कूली शिक्षा व निबंधन विभाग के सहयोगियों और… pic.twitter.com/9TLq0syGnt
— Kunal Sarangi 🇮🇳 (@KunalSarangi) August 15, 2025
राजनीतिक और सामाजिक योगदान
रामदास सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के एक कद्दावर और जमीनी नेता थे। उन्होंने घाटशिला विधानसभा से कई बार जीत हासिल की और अपने क्षेत्र के विकास के लिए लगातार प्रयासरत रहे। शिक्षा मंत्री के रूप में उनका विशेष ध्यान राज्य में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, आधारभूत संरचना सुधारने और पंजीयन सेवाओं को सरल व पारदर्शी बनाने पर था।
शोक की लहर
उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सहित झामुमो के तमाम वरिष्ठ नेताओं, विपक्षी दलों, सामाजिक संगठनों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने गहरा दुख व्यक्त किया। सभी ने उन्हें एक संवेदनशील, कर्मठ और दूरदर्शी नेता बताया, जिनका योगदान लंबे समय तक याद किया जाएगा।
अंतिम संस्कार की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से उनके पैतृक आवास लाया जाएगा। वहां आम जनता के लिए अंतिम दर्शन की व्यवस्था की जाएगी। इसके बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

