Jamshedpur News:सुधांशु ओझा के नेतृत्व में भाजपा महानगर कमेटी के विस्तार के बाद से ही विरोध के स्वर उभरने लगे
सुधांशु ओझा के नेतृत्व में भाजपा महानगर कमेटी के विस्तार के बाद से ही विरोध के स्वर उभरने लगे,पढ़िए भाजपा नेता अमर सिंह ने अनिल मोदी को तीसरी बार महामंत्री बनाने पर क्या आरोप लगाए ?
जमशेदपुर.
भाजपा महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा के नेतृत्व में महानगर कमेटी का विस्तार हुए ज्यादा समय नहीं बीता कि पार्टी के अंदर विरोध के स्वर उभरने लगे हैं.भाजपा नेता सह भाजयुमो के पूर्व मीडिया प्रभारी अमर सिंह ने अनिल मोदी को तीसरी बार महामंत्री बनाए जाने का कड़ा विरोध किया है.एक प्रेस रिलीज के माध्यम से उन्होंने सवाल उठाया है कि जीएसटी लागू करने पर पी एम मोदी का पुतला दहन करनेवाले को पार्टी कैसे तीसरी बार महामंत्री बना सकती है.
अमर सिंह का प्रेस रिलीज उनके शब्दों में
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भाजपा द्वारा GST लगाए जाने पर महामंत्री रहते हुए पुतला फुकने वाले अनिल मोदी को तीसरी बार बनाया गया महामंत्री। संगठन मंत्री, महामंत्री, प्रदेश अध्यक्ष से लिखित शिकायत के बाद भी बनाया महामंत्री।
भारतीय जनता पार्टी जमशेदपुर महानगर के सभी मनोनीत पदाधिकारियों को बहुत बहुत बधाई एवम शुभकामनायें।
राष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का महानगर पदाधिकारियों की नियुक्ति संगठन का एक हिस्सा है परन्तु पहले जो चुनाव से पदाधिकारियों का निर्वाचन होता था उसकी जगह अब करीबियों और पैरवीकार के मनोनयन की प्रथा से पार्टी कमजोर होते जा रही है और कर्मठ कार्यकर्ताओ का मनोबल गिरता जा रहा है।भाजपा के लोकप्रिय प्रधानमंत्री द्वारा एक देश एक टैक्स के तहत कपड़ो पर भी GST लगाई गई थी, तब पार्टी में महामंत्री के पद पर रहते हुए अनिल मोदी ने पार्टी के संविधान से इतर जाकर पुतला फूंका और सार्वजानिक रूप से विरोध जताया था, परन्तु भाजपा उससे काबिल आदमी अपने कार्यकर्ताओ में खोज नहीं पाती है या कोई आंतरिक समझौता है या कोई बड़ा पैरवी है जिस कारण पार्टी बार बार उन्हीं को महामंत्री बनाती है। हम पार्टी से मांग करते हैं कि उसको जेड प्लस की सुरक्षा दी जाये क्योंकि अनिल मोदी को कुछ हो गया तो पार्टी को महामंत्री नहीं मिलेगा।बचपन से सुनता आया हूं की भाजपा एक राष्ट्रवादी और एक विचारधारा की पार्टी है परन्तु कुछ ज्ञानी अहंकारी पदाधिकारी कार्यकर्त्ता से संवाद नहीं कर के भाजपा की दुर्गति कर रहे है और मनमानी करके सर्वनाश कर रहे हैं। अगर जीत का अमृत निकालना है तो 2019 के हार का मंथन करना पड़ेगा वरना परिणाम आशा अनुरूप नहीं आएगा। संगठन के कार्यकर्त्ता से संवाद टूट चूका है। कोई बात कार्यकर्त्ता की सुनने या समझने को कोई तैयार ही नहीं है।
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