जमशेदपुर। आगामी 5 नवंबर को मनाए जाने वाले गुरु नानक देव जी महाराज के 556वें प्रकाशोत्सव को लेकर तैयारियां पूरे जोश और श्रद्धा के साथ चल रही हैं। इसी क्रम में सिख समुदाय से जुड़े गुरुद्वारा प्रबंधकों, धार्मिक संस्थाओं और संगतों को संबोधित करते हुए युवा सिख धर्म प्रचारक और विचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने समाज में एकता और भाईचारे का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के नगर कीर्तन में “एकजुटता और सिख मर्यादा का पालन” ही सच्ची श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होगा। शुक्रवार को संगत के नाम जारी अपने विशेष संदेश में उन्होंने कहा —“शोभायात्रा में एक साथ चलना मतलब गुरु साहब के विचारों के साथ चलना है। अलग-अलग टुकड़ियों में चलना यह दर्शाता है कि हम विचारों में विभाजित हैं, जबकि हमारा गुरु एक है, ग्रंथ एक है और मार्ग भी एक है।”
हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने आगे कहा कि सभी गुरुद्वारा कमिटियों को, चाहे वे किसी भी क्षेत्र या समूह से जुड़ी हों, नगर कीर्तन के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब की ओट में एकजुट होकर चलना चाहिए। नगर कीर्तन में कोई भी व्यक्ति किसी संगठन या समूह का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि वह गुरु नानक देव जी के विचारों का प्रतिनिधित्व करता है। अतः सभी को मिलकर कौमी एकता और भाईचारे का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब में पंचम गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी की बाणी ‘होवे एकत्र मिलो मेरे भाई, दुबिधा दूर करो लिव लाई’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह बाणी समाज को आपसी एकता, सादगी और नम्रता की राह पर चलने की प्रेरणा देती है।
उन्होंने कहा कि गुरु साहिब की बाणी का पालन करना हर सिख का पहला कर्तव्य है। यदि हम गुटों और खेमों में बंटकर चलेंगे, तो यह गुरु की शिक्षाओं के विपरीत होगा। “जब हमारा गुरु एक है, तो हम अलग कैसे हो सकते हैं?”
हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने कहा कि नगर कीर्तन में पालकी साहिब के साथ चलना केवल धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि आत्मिक सौभाग्य की अनुभूति है। जो संगत गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती है, वह वास्तव में गुरु महाराज के विचारों के साथ चलती है।
उन्होंने अंत में सभी संगतों से अपील की कि वे प्रकाश पर्व के अवसर पर मर्यादा, अनुशासन और भाईचारे का पालन करते हुए एकजुट होकर चलें, जिससे गुरु नानक देव जी का संदेश हर दिल तक पहुंचे।

