जमशेदपुर। टाटानगर स्थित इलेक्ट्रिक लोको पायलट ट्रेनिंग सेंटर में शनिवार को एक विशेष फायर आपदा प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन टाटानगर रेल सिविल डिफेंस द्वारा किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोको पायलटों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य लोको पायलटों को रेल इंजन में आग लगने जैसी आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने की तकनीक और सही प्रतिक्रिया देने के तौर-तरीकों से अवगत कराना था।
कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे सिविल डिफेंस इंस्पेक्टर संतोष कुमार ने फायर संयंत्रों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इंजन में आग लगने की स्थिति में पायलट की तत्परता और सूझबूझ करोड़ों की रेलवे संपत्ति और यात्रियों की जान बचा सकती है। उन्होंने कहा कि “फायर संयंत्र सिर्फ एक उपकरण नहीं, बल्कि आपदा की घड़ी में सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। सही समय पर सही तकनीक के इस्तेमाल से किसी भी बड़ी दुर्घटना को टाला जा सकता है।”
इस अवसर पर सिविल डिफेंस के अनुभवी डेमोंस्ट्रेटर शंकर प्रसाद ने मॉकड्रिल का प्रदर्शन किया। इसमें उन्होंने फायर संयंत्रों के वास्तविक उपयोग की प्रक्रिया दिखाई और यह बताया कि एलपीजी गैस लीक जैसी घटनाओं में किस तरह त्वरित कार्रवाई करके अग्निकांड को रोका जा सकता है। इसके अलावा अनामिका मंडल ने प्राथमिक उपचार की तकनीक सिखाई। उन्होंने सिर, हाथ और छाती पर चोट या जलने की स्थिति में बैंडेज करने के सही तरीके प्रदर्शित किए।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में दक्षिण पूर्व रेलवे के सहायक लोको पायलट रिफ्रेशर, लोको पायलट रिफ्रेशर और आरआरबी जीडीसीई के पांच बैचों के लगभग 450 लोको पायलटों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षण केंद्र के सभी अनुदेशक और तकनीकी कर्मचारी भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम के समापन पर सिविल डिफेंस टीम ने नए प्राचार्य शुभेंदु हलधर का गर्मजोशी से स्वागत किया और उनके नेतृत्व में प्रशिक्षण गतिविधियों को और प्रभावी बनाने का संकल्प व्यक्त किया।
यह प्रशिक्षण न सिर्फ लोको पायलटों की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था को भी और मजबूत करेगा। इस तरह के अभ्यास भारतीय रेल की संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम माने जा रहे हैं।


