Jamshedpur News :मंत्री बन्ना गुप्ता पर सरयू राय का एक और हमला,उपायुक्त को पत्र लिखकर पूछा ,मंत्री बन्ना गुप्ता के  जी- क्लॉक  पिस्टल के लिए  वन विभाग से अनुमति ली है कि नहीं

उपायुक्त को पत्र लिखकर पूछा ,मंत्री बन्ना गुप्ता के  जी- क्लॉक  पिस्टल के लिए  वन विभाग से अनुमति ली है कि नहीं

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 जमशेदपुर

जमशेदपुर (पूर्वी) के विधायक सरयू राय ने  एक बार फिर जमशेदपुर (पश्चिम) के विधायक  सह मंत्री बन्ना गुप्ता पर हमला किया है। उन्होंने जिला के  उपायुक्त विजया जाधव को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि जमशेदपुर में हथियार का लाइसेंस लेने वाले लोग वन विभाग से एनओसी लिए हैं कि नहीं। उन्होंने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा है कि धारा-51 के अनुसार किसी अभियारण के 10 किलोमीटर की परिधि में हथियार के लिए लाइसेंस लेने के लिए उनकी अनुशंसा मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से प्राप्त करना जरूरी है। दरअसल इस पत्र के माध्यम से उन्होंने पूछा है कि मंत्री बन्ना गुप्ता के पास मौजूद जी- ग्लॉक खरीद पर उपयुक्त अनुमति ली गई है कि नहीं।

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क्या  है पत्र

उपायुक्त को भेजे पत्र में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 की धारा-34 और धारा-51 के अनुसार किसी अभ्यारण्य के 10किलोमीटर की परिधि में कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के हथियार के लिए लाईसेंस लेना चाहता है तो उसकी अनुशंसा मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से प्राप्त करना जरूरी है।अधिनियम का यह प्रावधान लाइसेंस लेने वाले और जारी करनेवाला दोनों पर लागू होता है।उन्होंने उपायुक्त से अवगत कराते हुए कहा है कि जमशेदपुर शहर दलमा अभ्यारण्य से10 किलोमीटर की परिधि के अंतर्गत है। इस संदर्भ में समीक्षा होनी चाहिये कि दलमा अभ्यारण्य की अधिसूचना निर्गत होने के उपरांत जितने भी व्यक्तियों को हथियार खरीदने के लिए लाईसेंस निर्गत हुए हैं, उन्होंने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से इस हेतु अनुमति प्राप्त किया है अथवा नहीं? यहाँ यह उल्लेख प्रासंगिक होगा कि राज्य सरकार के  स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, जो जमशेदपुर के कदमा क्षेत्र के निवासी हैं ने हाल ही में एक प्रतिबंधित पिस्तौल जी-ग्लाॅक खरीदा है। क्या उन्होंने हाथियार एवं लाइसेंस लेने के लिए उपयुक्त अनुमति प्राप्त किया है? क्या उन्हें लाइसेंस निर्गत करने वाले अधिकारी ने इसका सत्यापन किया है? 

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वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत हथियार लेना गैर कानूनी 

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के उपर्युक्त प्रावधानों से स्पष्ट है कि बिना मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से अनुमति लिये लाईसेंस निर्गत होना और उस लाईसेंस के आधार पर हथियार खरीद करना दोनों ही गैरकानूनी है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 के प्रावधान 34 और 31 को देखने से स्पष्ट होता है कि बिना मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कीे अनुमति के ऐसे हथियार रखने वाला तथा हथियार का लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति तीन वर्ष तक की सजा अथवा 25हजार रूपये का अर्थदण्ड अथवा दोनों ही का भागी होगा। प्रासंगिक अधिनियम ने इस बारे में किसी भी नागरिक को न्यायालय जाने के लिए अधिकृत किया है।  

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बिना अनुमति के लिए हथियार का लाइसेंस रद्द हो

पत्र में मांग की गई है कि  वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के सुसंगत प्रावधानों के आलोक में पूर्वी सिंहभूम जिला के सक्षम अधिकारी ने दलमा अभयारण्य की अधिसूचना जारी होने के बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अनुमति लिये बिना अथवा उन्हें सूचित किये बिना जिस किसी को भी हथियार का लाइसेंस निर्गत किया है, चाहे वह मंत्री है या सामान्य जन, उसके लाइसेंस की समीक्षा करेंगी और इस संबंध में विधि सम्मत कार्रवाई करेंगी।

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