JAMSHEDPUR NEWS :रतन टाटा के निधन पर रघुवर दास ने जताया गहरा शोक, निधन को बताया व्यक्तिगत क्षति

रतन टाटा के निधन पर रघुवर दास ने जताया गहरा शोक, निधन को बताया व्यक्तिगत क्षति, मीडिया से यादें साझा करते हुए कहा- टाटा कंपनी के एक मजदूर का राज्य के मुख्यमंत्री बनने पर रतन टाटा ने जताई थी प्रसन्नता।

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जमशेदपुर। ओडिशा के राज्यपाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने महान उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। गुरुवार को जमशेदपुर स्थित एग्रिको आवास पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पद्मश्री से सम्मानित रतन टाटा का जाना न केवल जमशेदपुर और टाटा परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में भारतीय उद्योग और समाज सेवा के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।

 

टाटा समूह के विकास में रतन टाटा की बड़ी भूमिका

रघुवर दास ने रतन टाटा के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में टाटा संस ने 20 से अधिक वर्षों तक देश के औद्योगिक विकास में एक अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने टाटा घराने की नींव को और मजबूत किया और इसे वैश्विक स्तर पर ले जाने का काम किया। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल औद्योगिक विकास किया बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी कई सामाजिक कार्य किए, जिनका असर पूरे देश में देखने को मिला। रतन टाटा का योगदान ऐसा है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

रघुवर दास ने साझा किये व्यक्तिगत अनुभव

रघुवर दास ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनका सौभाग्य रहा है कि वे स्वयं टाटा कंपनी में एक मजदूर के रूप में काम करते हुए मुख्यमंत्री बने। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में ‘मोमेंटम झारखंड’ के आयोजन से पहले, जब वे विभिन्न राज्यों में रोड शो कर रहे थे, तब उनकी मुंबई में टाटा समूह के तत्कालीन चेयरमैन स्वर्गीय सायरस मिस्त्री से मुलाकात हुई थी। उसी दौरान उन्होंने रतन टाटा से मिलने की इच्छा जताई, जिसे सायरस मिस्त्री ने पूरा किया। इसके बाद उनकी मुलाकात रतन टाटा से टाटा बोर्ड के ऑफिस में हुई।

झारखंड से रतन टाटा का रहा है गहरा संबंध

रघुवर दास ने बताया कि उन्होंने रतन टाटा से ‘मोमेंटम झारखंड’ में भाग लेने का अनुरोध किया, जिसे रतन टाटा ने सहर्ष स्वीकार किया और झारखंड आए भी। अपने संबोधन में रतन टाटा ने झारखंड की प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धि और यहां के भोले-भाले लोगों की मेहनत की प्रशंसा की थी। उसी दौरान रघुवर दास ने उनसे झारखंड में कैंसर अस्पताल की कमी को लेकर बात की और उनसे अनुरोध किया कि वे इस दिशा में पहल करें। जिसपर रतन टाटा ने उनके आग्रह को सहर्ष स्वीकार किया और झारखंड में कैंसर अस्पताल की स्थापना के लिए उन्होंने जमीन उपलब्ध कराने की बात कही थी। इसके बाद 22 एकड़ जमीन मात्र 1 रुपये के प्रतीकात्मक शुल्क पर टाटा समूह को हस्तांतरित की गई, जिसके बाद 10 नवंबर 2018 को रतन टाटा ने स्वयं आकर कैंसर अस्पताल का भूमिपूजन किया। अब वह अस्पताल बनकर तैयार हो चुका है और आज वहां कैंसर के मरीजों का इलाज भी शुरू हो गया है।

रतन टाटा का जाना व्यक्तिगत क्षति

रघुवर दास ने निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “रतन टाटा का इस दुनिया से जाना मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। वे न केवल एक महान उद्योगपति थे बल्कि अपना वादा निभाने वाले सरल और महान व्यक्तित्व के धनी भी थे। उनके साथ मेरा जुड़ाव मेरे जीवन का गौरवपूर्ण हिस्सा सदैव रहेगा। रतन टाटा हमेशा इस बात पर गर्व और प्रसन्नता महसूस करते थे कि टाटा स्टील का एक मजदूर आज झारखंड का मुख्यमंत्री बना है। उनका यह विनम्र स्वभाव और देश के प्रति उनकी सेवा हमेशा याद की जाएगी।”

रघुवर दास ने कहा कि पद्मश्री रतन टाटा का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और उनके योगदान की गाथा हमेशा देश के विकास की कहानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहेगी।

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