जमशेदपुर के प्रचारक हरविंदर सिंह ने गुरू गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पुरब को समर्पित सिक्ख नोजवानो से अपील की है की वो टोपी का त्याग कर दस्तार(पगड़ी) बांधे यह बात उन्होंने गोलपहाड़ी गुरदुवरा साहिब में कही उन्होंने गुरू गोबिंद सिंह जी की जीवनी से संगत को अवगत कराया उन्होंने कहा की सिक्ख की परिभाषा से भी संगत को रु बरु कराया उन्होंने कहा की सिक्ख का मतलब है सीखना उसके लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं है जेसे हमारे सबसे छोटी ऊम्र के गुरू हरकरिशं साहिब 6 साल की आयु में सिक्ख पन्थ की बागडोर सम्भालते है 9 साल की आयु में गुरू गोबिंद सिंह जी अपने पिता की शहादत के बाद पंथ की बाग डोर सम्भालते है एवं गुरू गोबिंद सिंह जी के सब से छोटे साहिबज़ादे बाबा फतहे सिंह जी वज़ीर खान की कहचहरि में गुरू ज्ञान से बड़े बड़े क़ाज़ियों के पसिने छुड़ा दिए थे इसी तरीक़े हमें भी सीखने के लिए कोई उम्र की ज़रूरत नहीं बस सीखने की लालसा होनी चाहिए हरविंदर ने पाँज ककार खंडे की पहुल के बारे में भी विस्थर से संगत को अवगत कराया उन्होंने कहा कि हमें अपने बचो को भी सिक्ख इतिहास से रुबरू रखने के लिए उन्हें समय देना चाहिए ताकी हमारी आने वाली पीढ़ी सिक्ख सिधांतो में मज़बूत हो सके हरविंदर ने इतिहास का हवाला देते हुए ओरत एवं मर्द को बराबर का दर्जा देने की बात कही उन्होंने कहा कि जहां हमारे सिक्ख भईयो ने शहादत दी वहा हमारी माताओं ने भी सिक्खि के लिए शहादत दी यह तक की गुरू नानक साहिब ने तो कह दिया ‘सो क्यों मंदा अखिए ,जित जमे रजान ,अर्थात् जिस ओरत के गर्व से बड़े बड़े राजे महराजे जन्म ले वो ओरत कभी नीची नहीं हो सकती अंत में उन्होंने सभी सिक्ख संगत को गुरू ग्रंथ साहिब के लड़ लगने की अपील की कहा की गुरू गोबिंद सिंह जी ने कहा था आज्ञा भइ अकाल की तभे चालयो पंथ सब सिक्खन को हुकम है गुरू मानयो ग्रंथ,
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