JAMSHEDPUR
अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के तत्वाधान में वेवीनार (Webinar) द्वारा अपने पदाधिकारियो, सदस्यों एवम कार्यकर्ताओ के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। परिषद का यह अनूठा प्रशिक्षण का कार्यक्रम अगली पीढ़ी को तैयार करने के मकसद से चरणबद्ध एवम विषयवार तरीके से किया जाता।
इस प्रशिक्षण का विषय “मिथिला का भूगोल ” था जिसमे पौराणिक काल से लेकर वर्तमान तक के मिथिला क्षेत्र के भूगोल पर जानकारी दी गई।
मुख्य वक्ता के रूप में परिषद के संस्थापक श्री धनाकर ठाकुर ने विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि पौराणिक धर्मग्रंथ रामायण, महाभारत के अतिरिक्त जैन एवम बौद्ध ग्रंथों में भी मिलता है जिसमें पूरव में कोशी नदी से आरंभ होकर पश्चिम में गंडकी तक तथा दक्षिण में गंगा नदी से आरंभ होकर उत्तर में हिमालय के तराई प्रदेश तक को मिथिला का क्षेत्र माना जाता था। वर्तमान में यह क्षेत्र बिहार राज्य के 22 जिले और झारखंड के 6 जिले को मिला कर बनता है। मिथिला क्षेत्र अपने सांस्कृतिक विराशद के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र अपने उपजाऊ भूमि, पानी की बहुतायत, दुर्लभ पेड़ पौधों के लिए और उपज के लिए जाना जाता है। मिथिलेस क्षेत्र को ” मिनी इंडिया” के संज्ञा देते हुय उन्होंने बताया की जिस तरह भारत तीन तरफ से पानी से घिरा है उसी प्रकार मिथिला भूभाग भी तीन तरफ से पानी से घिरा है और इस मे सभी धर्म और संप्रदाय के लोग रहते है। इस क्षेत्र के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने और नई पीढ़ी तक पहुचाने के आवश्यक पर बल देते हुई उन्होंने एक उपसमिति के गठन भी किया ; जो मुख्य रूप से पुराने पांडुलिपि से लेकर वर्तमान के पुस्तको का संरक्षण एवम संवर्धन का काम करेगी।
इस वेबिनार में बड़ी संख्या में पूरे देश से परिषद के पदाधिकारि, सदस्य एवम कार्यकर्ताओ ने हिस्सा लिया जिसमे प्रमुख रूप से विदुकान्त जी, साकेत जी, राजीव (अधिवक्ता), राजीव (दरभंगा) , अगम झा , कमलकान्त झा , पंकज झा एवम रविन्द्र चौधरी आदि उपस्थित रहे। वेबिनार का समापन यात्री जी की कविता पाठ एवम मिथिला विभूति आचार्य नाजिम रिज़वी को श्रंद्धांजली दे कर की गई।
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