जमशेदपुर के पूर्व डीएसई बाँके बिहारी सिंह पर लगा बगैर योगदान के 22 माह की वेतन निकासी का आरोप, सीएम, शिक्षा मंत्री को ट्वीट कर जाँच की माँग

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जमशेदपुर।

राज्य शिक्षा सेवा वर्ग-02 के वर्तमान अधिकारी बांके बिहारी सिंह द्वारा वर्ष 2001 से 2003 तक लातेहार के बालूमाथ प्रखंड में बगैर योगदान और सेवा दिये वर्ष 2003 में 22 माह की वेतन निकासी कर सरकारी राजस्व को क्षति पहुंचाने का मामला सामने आया है। यह आरोप लगाते हुए शिक्षा सत्याग्रह के संस्थापक और भाजपा नेता अंकित आनंद ने राज्य के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री के साथ वित्त मंत्री को पत्र लिखकर मामले की जांच और कार्रवाई करने की मांग की है। बुधवार को इस मामले को लेकर शिक्षा सत्याग्रह के नेता अंकित आनंद ने ट्विटर पर भी मोर्चा खोल दिया। पूर्व डीएसई पर बिना योगदान के 22 माह की वेतन निकासी का आरोप लगाते हुए जाँच और कार्रवाई की माँग की गई। ट्विटर के माध्यम से शिकायत को सीएम, शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव को भी टैग किया गया है। पत्र लिखकर ई-मेल द्वारा मामले से लातेहार और खूंटी के उपायुक्त के साथ ही वहां के डीएसई और डीईओ को भी अगत कराया गया है। विदित हो कि वर्ष 2001 से 2004 तक बाँके बिहारी सिंह प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के दायित्व पर थें। फ़िलहाल धनबाद के चर्चित चापाकल घोटाले की जाँच में दोषी पाये जाने पर बाँके बिहारी सिंह निलंबित चल रहे हैं।

भाजपा के जिला प्रवक्ता और शिक्षा सत्याग्रह के नेता अंकित आनंद द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि झारखंड शिक्षा सेवा संवर्ग-02 के वर्तमान अधिकारी बांके बिहारी सिंह द्वारा बग़ैर सेवा और योगदान किये 22 माह के वेतन निकासी कर ली गई है। कहा गया है कि बांके बिहारी सिंह पर अन्य कई गंभीर प्रकृति के भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा में संलिप्त रहने के मामले हैं। इनपर बालूमाथ प्रखंड में भी बगैर सेवा-योगदान दिये 22 माह के वेतन निकासी कर लेने का कथित तौर पर आरोप है। कहा गया है कि मामले की सही तरीके से जांच करने पर मामले की सच्चाई सामने आ सकती है। शिकायतकर्ता अंकित आनंद ने कहा है कि उक्त मामले की जानकारी प्राप्त करने हेतु वर्ष 2017 में सूचना का अधिकार के तहत स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में कई आवेदकों द्वारा आवेदन किया गया था, किंतु उन्हें तत्कालीन डीएसई बांके बिहारी सिंह या कुछ वरीय पदाधिकारियों के प्रभाव के कारण वांछित सूचनाओं से वंचित रखा गया था। इस कारण भी 22 माह के वेतन निकासी कर लेने के आरोपों के सत्य होने के तथ्य को बल मिलता है। ऐसे में इस मामले की जांच और भी जरूरी हो जाती है।

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● यह है आरोप :-

पत्र में कहा गया है कि बांके बिहारी सिंह वर्ष 2001-02 में जब प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी थे, तब उनका विभागीय स्थानांतरण लातेहार ज़िले के बालूमाथ प्रखंड में बतौर “प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी” किया गया था। लेकिन बांके बिहारी सिंह द्वारा विभागीय आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया और उन्होंने उक्त प्रखंड में सेवा और योगदान सुनिश्चित नहीं किया। इतना ही नहीं इस स्थानांतरण के खिलाफ बांके बिहारी सिंह ने वर्ष 2001-02 में झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हालांक झारखंड उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका तो स्वीकृत कर ली थी, लेकिन विभागीय स्थानांतरण पर स्टे (Stay) अथवा अंतरिम रोक नहीं लगायी थी। इसके कुछ महीनों बाद बांके बिहारी सिंह ने उच्च न्यायालय में नई याचिका दायर की थी, जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि, सरकार चाहे तो बांके बिहारी सिंह का पदस्थापन दूसरे प्रखंड/ज़िले में कर सकती है, लेकिन बांके बिहारी सिंह द्वारा न्यायालय में पहले मामले में दायर की गई याचिका का आदेश इनपर लागू होगा। उधर उच्च न्यायालय के दिशानिर्देश के आलोक में बांके बिहारी सिंह का पदस्थापन अड़की (खूंटी) में बतौर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कर दिया गया था। इसके कुछ माह बाद बांके बिहारी सिंह द्वारा स्थानांतरण को लेकर दायर पहली याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने उक्त याचिका को ख़ारिज कर दिया था। इस पूरी प्रक्रिया में बालूमाथ (लातेहार) से अड़की (खूंटी) आने तक बांके बिहारी सिंह को लगभग 22 माह लगा। इतना ही नहीं अड़की (खूंटी) आने के पश्चात बांके बिहारी सिंह ने बग़ैर काम किये/सेवा/योगदान सुनिश्चित किये 22 माह की अवधि की वेतन निकासी कर ली। कहा गया है कि तत्कालीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी एवं वर्तमान में निलंबित चल रहे राज्य शिक्षा सेवा वर्ग-02 के पदाधिकारी बांके बिहारी सिंह ने वर्ष 2001 से 2003 की अवधि के बीच में बग़ैर सेवा और योगदान सुनिश्चित किये 22 माह की वेतन निकासी कर निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की शक्तियों और दायित्वों का दुरुपयोग किया है।

● सरकार को राजस्व की क्षति पहुंचाने का आरोप

शिकायतकर्ता भाजपा नेता व शिक्षा सत्याग्रह संस्था संचालित करते हैं जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध लगातार मुखर विरोध करते हैं। इससे पूर्व में भी उनकी ही ट्वीट और शिकायतों पर बांके बिहारी सिंह के चापाकल घोटाले की जाँच में सीएम के निर्देश के बाद तेज़ी आई और उन्हें निलंबित कर दिया गया। कहा गया कि अगर मामले में विभाग गंभीरता से जाँच करें तो आरोपों की पुष्टि निश्चित है। शिकायत में कहा गया है कि प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, अड़की (खूंटी) तथा प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, बालूमाथ (लातेहार) के वर्ष 2001 से वर्ष 2004 तक के सर्विस बुक, सेवा पंजी एवं वेतन भुगतान पंजी, इत्यादि संचिकाओं और अभिलेखों के अवलोकन और जांच होने पर 22 महीने के वेतन निकासी का सत्यापन संभव हो सकेगा। पत्र मे कहा गया है कि श्री सिंह की इस हरकत झारखंड सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की क्षति पहुंची है, ऐसे में मामले की उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है।

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