प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में चैथे दिन शामिल हुए मंत्री बन्ना गुप्ता
जमशेदपुर। साकची ठाकुरबाड़ी रोड़ में तीन देवियों की भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव सह मंदिर उद्घाटन समारोह के चैथे दिन रविवार की सुबह 08.15 बजे से देवी प्रतिमाओं का पूजन किया गया। पूजन के बाद तीनों देवियों का फलाधिवास किया गया। रविवार की सुबह की पूजा में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भी शामिल हुए। उन्होंने देवियों की पूजा की और भव्य मंदिर निर्माण के लिए मारवाड़ी समाज की प्रशंसा करते हुए संस्था को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
संस्था के पदाधिकारियों द्धारा मंत्री बन्ना गुप्ता को पगड़ी पहनाकर एवं मंदिर की तस्वीर देकर सम्मानित किया गया। भोग वितरण कार्यक्रम में भी बन्ना गुप्ता उपस्थित रहे। पूजन का सभी कार्य विधिवत रूप से आचार्य बांके बिहारी गोस्वामी जी महाराज के पावन सानिध्य में वेद मंत्र के ज्ञाता 21 पुजारियों की मंडली द्धारा किया जा रहा हैं। रविवार की पूजा में मुख्य यजमान राजकुमार चंदुका, प्रमोद कुमार अग्रवाल समेत यजमान क्रमशः अमित अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, ऋषभ अग्रवाल, अमित अग्रवाल, आई के चैधरी, ओपी जालान, गौरव चैधरी, भोला चैधरी, नरेश मोदी, अशोक भालोटिया, नन्द किशोर अग्रवाल, विमलेश चैधरी, पंकज कांवटिया एवं विक्की भालोटिया सभी सपत्नी उपस्थित थे।
रविवार की शाम को मथुरा वासी आचार्य बांके बिहारी गोस्वामी जी महाराज ने व्यासपीठ पर आसीन होकर धु्रव चरित्र और महारास की कथा का वर्णन और महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती है। भक्ति तो बचपन से ही करनी चाहिए तभी जाकर जीवन सार्थक बनता है। भगवान कृष्ण का गोपियों संग रास रचाने की कथा दुनियाभर में प्रसिद्ध है। अपनी सुमधुर वाणी एवं भावनात्मक शैली से आचार्य जी ने आगे कहा कि महारास भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है। सोलह कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण का अवतार मुख्यतः आनंद प्रधान माना जाता है।
उनके आनंद भाव का पूर्ण विकास उनकी मधुर रस लीला में हुआ है। दरअसल कृष्ण द्वारा रचाया जाने वाला महारास सबसे पहले शरद पूर्णिमा की रात्रि को संपन्न हुआ। कहते है कि शरद पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज गोपियों के साथ वंशीवट पर चंद्रमा की धवल चांदनी में महारास किया था, जिसके दर्शनों की अभिलाषा देवलोक में बैठे देवताओं की भी रही। इस प्रसंग को सुन उपस्थित श्रोता भाव विभोर हो उठे। प्रवचन के दौरान भक्तों द्धारा डांडिया नृत्य भी किया गया।
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