संवाददाता जामताड़ा,18 जनवरी
नपं अध्यक्ष की दबंगई के आगे जिला प्रशासन अब लाचार दिख रही है। आलम यह है कि डीसी के कार्रवाई के आदेश के बाद भी एक सप्ताह बीने पर अनुपालन नही किया गया। अलबता स्कूल प्रबंधन ने दूसरा रास्ता निकाला। या यूं कहें कि मजबूरी में दूसरी रास्ता निकालना पड़ा। संपति पर स्कूल का हक है और नगर पंचायत अपना दावा ठोक रहा है। वास्तविकता यह है कि न्यायालय ने छा़त्र हित में खेल मैदान और नगर भवन के उपयोग का निर्देश दिया है।
मामला नगर पंचायत और जेबीसी उच्च विद्यालय से जुड़ा हुआ है। एक ओर न्यायालय के आदेश का अवमानना हो रहा है तो दूसरी ओर डीसी के आदेश का उल्लंघन। स्कूल के खेल मैदान के मुख्य द्वार में नगर पंचायत अध्यक्ष ने ताला जड़ दिया है। 22 जनवरी से उसमें व्यापार विस्तार मेला का आयोजन होना है। नगर पंचायत ने अपना दावा ठोकते हुए तालाबंदी कर अपनी दबंगता का प्रदर्शन किया। आयोजक की ओर से डीसी को शिकायत की गई तो उनके आदेश का अबतक एसडीओ की ओर से अनुपालन नही किया गया। नतीजा वैकल्पिक व्यवस्था के तहत स्कूल प्रबंधन ने दिवार तोड़कर नया रास्ता बनाने का फैसला किया।
विदित हो कि वर्ष 1999 में नगर भवन निर्माण के विरोध में जमीनदाता वासुकि प्रसाद सिंह ने उच्च न्यायालय पटना का दरवाजा खटखटाया था। तत्कालीन विधायक फुरकान अंसारी के निधि से नगर भवन का निर्माण कराया जा रहा था। सूट नंबर सीडब्लूजेसी 2079ध्1999 की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने फैसला सुनाया कि संपति का उपयोग प्राथमिकता के तौर पर छात्र हित में की जाएगी उसके बाद इसका सामाजिक हित में उपयोग होगा। संपति पर स्कूल का हक होगा।
अब आलम यह है कि जब से व्यापार विस्तार मेला की घोषण हुई तब से नगर पंचायत ने रोड़ा अटकाना शुरु कर दिया है। डीसी शशिरंजन प्रसाद सिंह ने गेट खोलवाने का आदेश एसडीओ अखिलेश कुमार सिन्हा को दिया लेकिन ताला तो नही खुला वरन दिवार तोड़कर नया रास्ता बनाया गया। आनन फानन में स्कूल प्रबंधन की बैठक बुलाई गई और नया गेट बनाने का निर्णय लिया गया। उसके बाद स्कूल प्रबंधन ने चहार दिवारी तोड़ दी। दिवार टूटने से मेला का रास्ता तो बन गया लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या जिला प्रशासन इतना लाचार है कि अपने निर्णय का अनुपालन नही करवा सकें। क्या मजबूरी है कि अबतक मुख्य द्वार का ताला नही खुलवाया जा सका।
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