Indian Railway:ओडिशा के सरकारी स्कूल के कक्षा तीन में इस ट्रेन की होती है पढाई, जानिए कैसे ट्रेन की पढाई भारतीय सभ्यता की बनी पढाई

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रेल खबर.

ट्रेनों के कई किस्से सुनने मिलते हैं लेकिन वह किस्से किताबों में शायद ही उतरते हैं. पर, भारत में एक ऐसी ट्रेन है जिसकी चर्चा सरकार के द्वारा संचालित स्कूलों में है और बच्चे उसे पढ़ते हैं. दरअसल पुरी से योगनगरी ऋषिकेश जाने वाली उत्कल एक्सप्रेस की चर्चा ओडिशा सरकार ने अपने स्कूलों के पाठ्यक्रम में रखा है.कक्षा तीन के भाषा-संस्कृति के किताब में उत्कल कलिंगा एक्सप्रेस की चर्चा की गई है.

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*भारत की सभ्यता और संस्कृति को बताया गया है*

ओडिशा सरकार के द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों के कक्षा तीन के साहित्य किताब *आमो भाषा आमो साहित्य* में एक चैप्टर *अनेक फुल र माला टीए* है. इसमें एक बच्चा अपने परिवार के सदस्यों के साथ पुरी से दिल्ली की यात्रा करता है.इस दौरान यह ट्रेन जिन राज्यों से गुजरती है, उस राज्य के लोग उसी वेशभूषा में ट्रेन में यात्रा करते उसे दिखते हैं. बच्चे अपने पिता से जिज्ञासावश उन व्यक्तियों के पहनावे की जानकारी लेते रहते हैं.यह वाक्या पूरे ट्रेन यात्रा के दौरान चलता रहता है.

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*उत्कल एक्सप्रेस 9 राज्यों से होकर चलती है*

पुरी – योगनगरी -पुरी कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस का परिचालन पुरी और योगनगरी ऋषिकेश से प्रतिदिन होता है.आने -जाने के क्रम मे 9 राज्यों से होकर यह ट्रेन गुजरती है जिनमें ओडिशा,बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश , दिल्ली,हरियाणा और उत्तराखंड शामिल हैं.

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*क्या कहते है ओडिया भाषा-भाषी*

झारखंड में ओडिया सभ्यता संस्कृति के लिए काम करने वाले उत्कल सम्मिलनी के विद्यालय पर्यवेक्षक जयराम दास पात्रता ने बताया कि किताब के उस खास चैप्टर में ओडिसा से दिल्ली की रेल यात्रा की कहानी है.कहानी में ट्रेन उड़ीसा से पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश ,राजस्थान आदि राज्यों से होते हुए जाती है.एक लड़का अपने भाई बहन और माता -पिता के साथ पुरी से दिल्ली की यात्रा कर रहा है.इसके माध्यम से भारत और इसकी सभ्यता को बताया गया है.इसमें बताया गया है कि जिस प्रकार अनेक फूलों से एक माला बनता है, उसी प्रकार भारत भी विभिन्न संस्कृतियों का एक संगम है.ट्रेन की कहानी के माध्यम से अपने देश की संस्कृति से रुबरु होकर बच्चे ज्ञान अर्जित करने के साथ ही गौरवान्वित भी हो रहे हैं.

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