
नई दिल्ली,24 मार्च
भारतीय आर्थिक सेवा के 35वें बैच (2013) के 29 प्रशिक्षु अधिकारियों ने आज राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की।

इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारी नीति-निर्माताओं और योजनाकारों को परामर्श देने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। आज जैसी जटिल दुनिया में नीति-निर्माण के क्षेत्र में ठोस आर्थिक परामर्श की जरूरत बढ़ती जा रही है। 1947-48 के बजट में हमारा राजस्व 171 करोड़ रुपये था और खर्च 197 करोड़ रुपये। इसके मुकाबले वर्ष 2013-14 में हमारा राजस्व 10.3 लाख करोड़ रुपये और खर्च 15.9 लाख करोड़ रुपये रहा । अर्थव्यवस्था के लगातार गतिशील बने रहने और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ इसके गहराई से जुड़े होने के कारण इसमें अनेक ढांचागत परिवर्तन आए हैं। इस चुनौती का मुकाबला मजबूत नीतियां और कार्यक्रम बनाकर ही किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय आर्थिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी देश का भविष्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन पर पूरा भरोसा है। देश के किसानों, औद्योगिक मजदूरों और नीति-निर्माताओं के सहयोग की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था ने अनेक संकटों का सफलतापूर्वक सामना किया है।