जमशेदपुर.
हम कितने भी ऊंचे पदों पर पहुंच जाएं लेकिन हमें अपनी भाषा और संस्कृति जो हमारी पहचान है उसको नहीं छोड़ना चाहिए उक्त बातें माननीय राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज जमशेदपुर में भारत सेवाश्रम संघ द्वारा आयोजित त्रिशूल महोत्सव के दूसरे दिन आदिवासी संस्कृतिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भारत में आदिवासियों की कई प्रजातियां हैं उनमें कई प्रजाति आज विलुप्त होने के कगार पर हैं। सरकार द्वारा उन्हें बचाने के लिए पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं, तमाम सरकारी सुविधाएं उन्हें उपलब्ध कराई जा रही हैं लेकिन उन्हें भी अपने विकास एवं समाज के मुख्यधारा में जुड़ने के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आदिवासी की भाषा और संस्कृति बहुत समृद्ध है आवश्यकता इस बात की है कि आदिवासी के संस्कृति और भाषा का ज्यादा से ज्यादा विकास हो। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के पास आयुर्वेद एवं जंगल में पाए जाने वाली जड़ी बूटियों का ज्ञान है और वह इसका प्रयोग अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए भी करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, हमें भी अपने स्तर से अपने विकास के लिए प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित आदिवासी महिलाओं, बच्चों एवं समाज के वरिष्ठ नागरिकों से आह्वान किया कि वे समाज में शिक्षा का प्रचार प्रसार पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने कहा कि शिक्षित समाज से ही राज्य और देश का विकास संभव है। उन्होंने आदिवासी सांस्कृतिक सम्मेलन के आयोजन के लिए भारत सेवाश्रम संघ को धन्यवाद ज्ञापित किया। उल्लेखनीय है कि स्वामी परमानंद जी महाराज के जन्मोत्सव के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष भारत सेवाश्रम संघ द्वारा तीन दिवसीय त्रिशूल महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस क्रम में इस वर्ष भी त्रिसूल महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें त्रिशूल महोत्सव के दूसरे दिन झारखंड की माननीय राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं।
कार्यक्रम में कोल्हान विश्वविद्यालय के उपकुलपति श्रीमती शुक्ला मोहंती एवं समाजसेवी आरके अग्रवाल भी मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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