देवघर।


बैंड बाजा और कांवरिया, जी हां! यह नजारा दिखा झारखण्ड और बिहार की सीमा दुम्मा में, जहाँ 50 की संख्या में नाथनगर भागलपुर के कांवरिये अपने भव्य कांवर के साथ बाबाधाम की पवित्र्रा धरती पर कदम रखा| संघ के ये सदस्य पिछले सैकड़ो साल की परंपरा को निभाते हुए देवघर पहुंचे है| ये सभी कांवरिये नाथ नगर से ही बैंड बाजे के साथ पैदल ही बाबा धाम के लिए निकलते है| संघ के सरदार और अध्यक्ष डोमन यादव ने बताया कि बाबाधाम आने कि यह परम्परा सदियों पुरानी है,वे खुद 1976 से हर साल आ रहे है| उन्होंने बताया कि इतने सालो में बहुत कुछ बदला है, वे आज भी झारखण्ड को बिहार का ही हिस्सा मानते है, उनका कहना है कि सीमाएं दिलो को बाँट नहीं सकती|पिछले सालो को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वर्षो पहले यह पूरा इलाका जंगल था लेकिन आज सब कुछ बदल गया है | सुविधाएं बढ़ी है लेकिन अब पहले जैसा आनंद नहीं आता| लोग पहले सैकड़ो की संख्या में एक साथ आते थे| खाने पीने की व्यवस्था भी खुद करनी होती थी| उन्होंने सरकार को सुविधाओं के लिए धन्यवाद कहा| नाथनगर कांवरिया संघ के सदस्य अमित यादव ने कहा कि यह संघ पहले भादो महीने में बाबाधाम आते थे, लेकिन पहली बार वे लोग सावन के महीने में बाबा धाम आये है| इसका कारन उन्होंने खेती बताया, उनका कहना है कि सावन में किसान वर्ग अपने खेतो में व्यस्त रहते है और इसी कारन वे लोग भादो में बाबा के दरबार आते है| नाथनगर काँवरिया संघ के कांवर और उनका नृत्य अन्य कांवरियों में भी नया जोश भरता दिखा| थके कांवरिये उनकी टोली के साथ पुरे जोश के साथ बोल बम का जयकारा लगाते हुए बाबा मंदिर के लिए रवाना हुए|