Confederation Of All India Traders ;कैट 1 फरवरी से देश भर में व्यापारी संवाद अभियान के ज़रिए ब्रह्द सर्वेक्षण शुरू करेग

136

*कैट 1 फरवरी से देश भर में व्यापारी संवाद अभियान के ज़रिए ब्रह्द सर्वेक्षण शुरू करेगा।*

*व्यापारियों को वोट बैंक में परिवर्तन करना अभियान का एजेंडा है

Jamshedpur।

बहुप्रतीक्षित ई-कॉमर्स नीति और राष्ट्रीय खुदरा नीति को लागू करने के सरकार के द्वारा हो रही देरी और जीएसटी कराधान प्रणाली में बढ़ती जटिलताओं और देश के व्यापारियों के व्यापार पर हो रहे चौतरफ़ा विभिन्न हमलों के बीच कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ( कैट) आगामी 1 फरवरी से 28 फरवरी तक एक महीने का मेगा राष्ट्रीय अभियान “व्यापारी संवाद” शुरू करने के लिए तैयार है, जिसके माध्यम से कैट भारत के खुदरा व्यापार पर एक सर्वेक्षण भी करेगा | अहमदाबाद में आयोजित कैट कोर कमिटी बैठक में बताया ।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा यह सर्वेक्षण खुदरा व्यापार की क्षमता , व्यापारियों के सामने आ रही चुनौतियों और सुझावात्मक उपचारात्मक उपायों के संदर्भ में सबसे बड़ा सर्वेक्षण होगा। भारत में खुदरा व्यापार लगभग 130 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहा है लेकिन यह विडंबना है कि यह क्षेत्र जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है जबकि केंद्र और राज्यों दोनों में कोई आंतरिक मंत्रालय नहीं है और न ही कोई नीति है और इसलिए कैट ने अब व्यापारिक समुदाय की ताकत को मजबूत करने का फैसला किया है जिसे वोट बैंक में परिवर्तित किया जाएगा। देश में सब कुछ वोट बैंक की राजनीति से तय होता है तो व्यापारी क्यों पीछे रहैं-।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बीसी भरतिया ने कहा कि एक महीने के लंबे राष्ट्रीय अभियान के दौरान जिसका नाम व्यपारी संवाद है के माध्यम से कैट पूरे देश में 40 हजार से अधिक व्यापार संघों के माध्यम से करोड़ों व्यापारियों तक पहुंचेगा और व्यापारियों के बीच एक प्रकार का जनमत जागरण भी करेगा। ई-कॉमर्स और जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता और व्यापारियों को वोट बैंक में बदलने की आवश्यकता के बारे में भौतिक और डिजिटल दोनों तरीकों से जनमत सर्वेक्षण भी आयोजित किया जाएगा।
श्री भरतिया ने देश की राजनीतिक बिरादरी पर कड़ा प्रहार करते हुए इस बात का कड़ा विरोध किया कि व्यापारियों को सरकारों द्वारा हल्के में लिया गया है और यह सबसे आश्चर्यजनक है कि व्यापारियों द्वारा उठाए गए गंभीर मुद्दे नीति निर्माताओं के विचार-विमर्श और निष्पादन विंग दोनों के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगती है ।

कैट के राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थालिया ने प्रमुख ज्वलंत मुद्दों ई-कॉमर्स और जीएसटी कराधान प्रणाली पर सरकार के काम करने के बारे में गंभीर असंतोष व्यक्त किया। भारत में बड़ी-बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियाँ लगातार कानूनों और नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, जिन पर गाँजा जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं की बिक्री की सुविधा देने का आरोप है ।ये कम्पनियाँ अपने पोर्टल पर बम बनाने के लिए आवश्यक विस्फोटक जो आतंकवादी गतिविधियों में उपयोग किए जाते हैं उनको तथा जहर आदि बेचने की सुविधा प्रदान करते हैं और कोई कार्रवाई करने के बजाय, विभिन्न सरकारें इनके साथ शामिल हो कर विभिन्न क्षेत्रों के कथित सशक्तिकरण की आड़ में इन कम्पनियों को अपना खेल खेलने की इजाज़त दी गई है । यह भी खेद है कि जब भी कोई अधिकारी इन कंपनियों के खिलाफ जांच करता है, तो संबंधित अधिकारी को स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह मध्य प्रदेश के एसपी के मामले में हुआ और यह विश्वसनीय रूप से पता चला है कि सीसीआई में, अमेज़ॅन के खिलाफ जांच का प्रभार किसी अन्य जांच अधिकारी को सौंप दिया गया है। इन उदाहरणों से संकेत मिलता है कि इन कंपनियों को जानबूझकर एक मार्ग प्रदान किया जाता है जिससे वो अपनी कुप्रथाओं को जारी रख सकें । अनेक सबूत पेश करने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हुई यह एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।
श्री सोन्थालिया ने आगे कहा कि मौजूदा जीएसटी व्यवस्था व्यापार करने में आसानी प्रदान करने से कहीं अधिक जटिल साबित हुई है। जीएसटी में विकृतियां और असमानता बन गई है। विभिन्न प्रकार के रिटर्न फॉर्म दाखिल करना, विभिन्न राज्यों में कर दरों में भिन्नता, जीएसटी अधिनियम और नियमों में परिवर्तन जारी है, कच्चे माल पर अधिक कर के कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट का संचय और संबंधित वस्तु पर कम कर की दर, विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नियम एक ही वस्तु, अधिकारियों को सौंपी गई अत्यधिक और अनियंत्रित शक्तियां, तर्कहीन कर दरें और अन्य कर संबंधी मुद्दों ने व्यापारियों को एक “मुंशी” के रूप में कम कर दिया है, बल्कि व्यापारियों को जो अपने व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। हालांकि, कैट कर चोरों के खिलाफ है और उन्हें अनुकरणीय दंड देने के पक्ष में है।

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा कि “व्यापारी संवाद” अभियान के लिए
“कैट ने विभिन्न राज्यों में लगभग 1200 सौ शहरों की पहचान की है, जिनका दौरा कैट द्वारा गठित व्यापारी नेताओं की विशेष टीम द्वारा किया जाएगा जो सामान्य व्यापारियों तक पहुंचेगा और उन्हें शिकायतों के निवारण के लिए देश में एक वोट बैंक के रूप में परिवर्तन होने के महत्व के बारे में अवगत कराएगें ।
कैट के वरीय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल ने केंद्रीय सरकार से आयकर क़ानून की समीक्षा करने को कहा। आयकर क़ानून 75 साल पुराना क़ानून है जब क़ानून बना उस समय व्यापार करने का तरीक़े अलग थे और आज व्यापार पूरा डिजिटल हो गया और व्यापार फ़्रेंड्ली और सरल क़ानून बनाना चाहिए साथ ही GST क़ानून को बने 4 साल हो गए और आज भी पोर्टल स्थायी नहीं हो पाया।पोर्टल हैंग हो रहा है पोर्टल पर सरकार कई करोड़ खर्चा कर चुकी अब नए सिरे से GST क़ानून को गढ़ने की ज़रूरत है। GST क़ानून अच्छा है इसे सरल करने की ज़रूरत है साथ ही टैक्स रटे का भी मूल्यांकन होना चाहिए। देश भर से आए व्यापारी नेताओ ने भी अपनी बातें रखी।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More