चांडिल (सरायकेला खरसावां)।
नारायण आईटीआई, लुपुंगडीह, चांडिल में शनिवार को भारत माता के सच्चे सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉ. जटाशंकर पांडेय सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. पांडेय ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख स्तंभ थे। वे न केवल एक क्रांतिकारी विचारक बल्कि समाज सुधारक, शिक्षक, पत्रकार और कुशल नेता भी थे। उन्होंने मराठी में जो उद्घोष दिया – “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूंगा” – वह आज भी देशभक्ति की भावना को जागृत करता है।
उन्होंने बताया कि तिलक ने जनता में राजनीतिक चेतना लाने के लिए अंग्रेजी में The Mahratta और मराठी में Kesari नामक दो समाचार पत्रों की शुरुआत की थी। उनके लेख इतने प्रभावशाली थे कि अंग्रेजी सरकार ने कई बार उन्हें जेल भेजा। उन्होंने कांग्रेस में गरम दल का नेतृत्व किया और लाला लाजपत राय व बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर लाल-बाल-पाल की त्रयी के रूप में प्रसिद्ध हुए।
डॉ. पांडेय ने यह भी उल्लेख किया कि तिलक ने युवाओं में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने के लिए गणेश उत्सव और शिवाजी महोत्सव जैसे आयोजनों को जन-आंदोलन का रूप दिया। उन्होंने बर्मा की मांडले जेल में भी स्वराज के विचारों को मजबूती से जिंदा रखा।
READ MORE :Chandil News:स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर नारायण आईटीआई लुपुंगडीह में श्रद्धांजलि सभा आयोजित
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एडवोकेट निखिल कुमार, प्रकाश महतो, देवाशीष मंडल, पवन महतो, शशि भूषण महतो, संजीत महतो, कृष्ण पद महतो, अजय मंडल, कृष्णा महतो, गौरव महतो और निमाई मंडल सहित कई लोग उपस्थित थे। सभी ने तिलक के विचारों को आत्मसात करने और युवाओं में राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत करने की शपथ ली