Bihar news -बिहार: सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नितीश सरकार का बड़ा कदम

17 जिलों में बनेगा ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पूरे देश में सबसे ज्यादा बिहार के लोगों की जाती है जान

473

पटना, बिहार मुखयमंत्री नितीश कुमार ने 17 जिलों में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए चालन दक्षता जांच के लिए ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण करने का ऐलान किया है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी और अधिक कमी आ सकें. पटना एवं औरंगाबाद में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर गाड़ी चालकों की जांच हो रही है.
जनता दल नेअपने सोशल मीडिया Koo हैंडल से इसकी जानकारी देते हुए लिखा कि 17 जिलों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक बनाया जाएंगे जिसके लिए सभी ज़िलों को 50 से 75 लाख की राशी स्वकिृत की जाएगी. इस ट्रेक के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए दिसम्बर-जनवरी का लक्ष्य रखा गया है.
यहां के लिए मिली प्रशासनिक स्वीकृति

सूत्रो की मानें तो सीतामढ़ी, मोतीहारी, किशनगंज, मधुबनी, पूर्णिया, नालंदा, कटिहार, कैमूर, सारण, बांका, बेतिया, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, जहानाबाद, नवादा, मधेपुरा में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक निर्माण के लिए जमीन चिन्हित करते हुए उपलब्ध कराएं गये एस्टिमेट पर अधिकतम मान्य राशि (जिलानुसार 50-75 लाख रुपये) के अंदर प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गयी है.

बाकी बचे जिलों के डीएम को निर्देश दिया गया है कि जल्द से जल्द जमीन चिन्हित कर विभाग को रिपोर्ट सौंपे. इस योजना की प्रग्रति के संबंध में अगले माह दोबारा से बैठक होगी. जिसमें बाकी जिलों के बचे हुए चिन्हित जमीन का भी ब्योरा जिलों से लिया जायेगा.

भारत सरकार का सड़क हादसों का अब तकब्योरा
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार भी वर्ष 2018 में वर्ष 2017 की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 0.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्ष 2017 में हुई 4,64,910 की तुलना में इस वर्ष 4,67,044 सड़क दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं। इसी अवधि के दौरान मृत्यु दर में भी लगभग 2.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  2018 में 1,51,471 लोग मारे गए, जबकि 2017 में 1,47,913 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए थे। सड़क दुर्घटनाओं में लगने वाली चोटों में 2017 के मुकाबले 2018 में 0.33 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई।

मंत्रालय की यह रिपोर्ट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभाग द्वारा उपलब्ध की गई जानकारी के आधार तैयार की गई है। सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मौतों में भी 2.37 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर सड़क दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई। कुल दुर्घटनाओं का 30.2 प्रतिशत दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर दर्ज की गईं।

पूरे देश में सबसे ज्यादा बिहार के लोगों की जाती है जान, एक साल में इतने लोगों की हुई मौत
सड़क दुर्घटना होने के बाद समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने से बिहार में सबसे अधिक मौतें हो रही हैं। देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में सड़क दुर्घटना होने पर 72 फीसदी मामलों में मौतें हो जा रही हैं। अगर गोल्डन ऑवर यानी एक घंटे के अंदर घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो मौतों को कम किया जा सकता है। परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार एक वर्ष बिहार में 10 हजार 7 सड़क दुर्घटनाएं हुईं और इनमें 7205 लोगों की मौत हो गई। मृत्यु दर 72 फीसदी रही। यूपी में 42 हजार 572 सड़क दुर्घटनाओं में 22 हजार 655 की मौत हुई जो 53.2 फीसदी रही। कर्नाटक में 40 हजार 658 सड़क दुर्घटना में 10 हजार 958 की मौत हुई जो 27 फीसदी है। मध्यप्रदेश में 50 हजार 669 सड़क दुर्घटनाओं में 11 हजार 249 की मौत हुई जो 22.2 फीसदी रही। तमिलनाडु में 57 हजार 228 सड़क दुर्घटना में 10 हजार 525 की मौत हुई जो 18.4 फीसदी है, जबकि केरल में 41 हजार 111 सड़क दुर्घटना में 4440 की मौत हुई जो 10.8 फीसदी है।

ट्रॉमा सेंटर की भारी कमी
राज्यभर में गंभीर दुर्घटना के बाद मरीजों को पीएमसीएच रेफर किया जाता है, क्योंकि एनएच और एसएच (राज्य उच्च पथ) पर नाम के ट्रॉमा सेंटर हैं, जहां इलाज के नाम पर मरीज के परिजनों का आर्थिक दोहन होता है। पीएमसीएच को छोड़कर बिहार के किसी सरकारी अस्पताल में ट्रॉमा की विशेष सुविधा नहीं है। राज्यभर से तुरंत पीएमसीएच पहुंचना मुश्किल है, जिससे मौत का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है।

विश्व स्वाथ्य संगठन का अनुमान अधिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सड़क दुर्घटना से संबंधित ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट में यह आंकड़ा लगभग 2,99,000 बताया गया है। संगठन के सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटना में मरने वालों की दर प्रति 100,000 पर 6 है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More