
रवि कुमार झा,जमशेदपुर,21अप्रैल
जमशेदपुर से 40 किलोमीटर दुर बहारागोङा विधानसभा के चाकुलिया प्रखण्ड में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उपयोग हुआ हवाई अड्डा आज उपेक्षा का शिकार हैं 14 वर्ष पहले जब झारखंड राज्य का गठन हुआ तो लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब क्षेत्र का कायाकल्प होगा। विकास की तो छोड़िए, इन 14 वर्षो में 8 सरकारें बनीं पर राज्य का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर चाकुलिया हवाई अड्डा उपेक्षित ही रहा।
द्वितीय विश्वयुद्ध में उपयोग हुआ
इस हवाई अड्ड का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1942 से 1945 तक इस हवाई अड्डा का इस्तेमाल मिलिट्री एयरपोर्ट के रूप में किया गया। इसका मुख्य रनवे 7,284 मीटर लंबा तथा 100 मीटर चौड़ा है, जबकि रांची स्थित बिरसा मुंडा हवाई अड्डा की लंबाई 2713 मीटर तथा चौड़ाई 45 मीटर है। आंकड़ो के मुताबिक चाकुलिया का हवाई अड्डा रांची हवाई अड्डा से तीनगुना बड़ा है। 10 हवाई जहाज तथा 25 हेलीकॉप्टर की क्षमता वाले इस एयरपोर्ट की ओर सरकार का ध्यान नहीं जाना समझ से परे है। लगभग 400 एकड़ के क्षेत्रफल में स्थित इस हवाई अड्डा का वर्तमान इस्तेमाल पशुओं के चारागाह के रूप में किया जा रहा है। मिल फैिक्ट्रयों से निकलने वाली गंदगी को फेंकने में भी इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।
एयरपोर्ट के जीणोद्वार के लिए कई बार हो चुकी है धोषणा

बेहतर कनेक्टिविटी से होगा राज्य का विकासः चाकुलिया हवाई अड्डा को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के रूप में विकिसत किए जाने से चाकुलिया का तो विकास तेजी से शुरू होगा। साथ ही अन्य राज्यों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी से पूंजीपित भी निवेश करने को आगे आएंगे।अर्जुन मुंडा ने की थी कारगो एयरपोर्ट बनाने की घोषणावर्ष 2005 में तात्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने चाकुलिया हवाई अड्डा को कारगो एयरपोर्ट के रूप में विकिसत करने की घोषणा की थी। परंतु, सरकार गिरी और सरकारी घोषणा खटाई में चली गई।
विगत 1 अप्रैल को टाटा स्टील के नए प्रबंध निदेशक (एमडी) टीवी नरेन्द्रन ने इस वित्तीय वर्ष के पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि टाटा स्टील का अपना एयरपोर्ट है, लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट जरूरी है। इस लिहाज से झारखंड, उड़ीसा तथा पशि्चम बंगाल के सीमा पर स्थित चाकुलिया हवाई अड्डा उनके लिए कारगर साबित हो सकता है।
वही दुसरी ओर चाकुलिया की हवाई पट्टी को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाएगा। गम्हरिया में प्रस्तावित हवाई अड्डे के लिए जमीन की उपलब्धता में आ रही दिक्कतों के कारण राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है। हालांकि, गम्हरिया में एयरपोर्ट की राह में आ रही दिक्कतों को दूर करने का प्रयास भी किया जा रहा है।यह बाते कुछ माह पुर्व झारखंड सरकार के उद्योग सचवि दीपांकर पांडा और सीआईआई, झारखंड चैप्टर के चेयरमैन एसके बेहरा ने बुधवार को बेल्डीह क्लब में आयोजित सीआईआई के झारखंड चैप्टर की वार्षिक सभा में कही। दोनों अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला रांची में सीआईआई और राज्य सरकार द्वारा गठित संयुक्त टास्क फोर्स की बैठक में लिया गया। सारी योग्यताएं पूरी करती चाकुलिया हवाई पट्टीरांची में आयोजित बैठक में मुख्य सचवि आरएस शर्मा ने कहा कि चाकुलिया की हवाई पट्टी एयरपोर्ट बनाने की सभी योग्यताएं पूरी करती है।
जमशेदपुर से चाकुलिया की दुरी 40 किलीमीटर
जहां तक जमशेदपुर से चाकुलिया की दूरी का सवाल है, उस पर सरकार का कहना था कि कई महानगरों से हवाई अड्डे की दूरी चालीस किलोमीटर है। मसलन, कानपुर और लखनऊ के बीच हवाई अड्डा, बेंगलुरू का हवाई अड्डा। अगर इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़कों को दुरुस्त कर लिया जाता है तो चाकुलिया से जमशेदपुर की भी दूरी लगभग चालीस किलोमीटर होगी। चाकुलिया के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि यहां जमीन अधिग्रहण जैसी जटिल प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी।
दूसरे विश्वयुद्ध में सेना ने किया था चाकुलिया हवाई पट्टी का इस्तेमालः चाकुलिया हवाई पट्टी का इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जंगी जहाजों की उड़ान भरने के लिए हो चुका है।