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Home » AI in Judiciary India :कानूनी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग
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AI in Judiciary India :कानूनी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग

BJNN DeskBy BJNN DeskDecember 12, 2025No Comments4 Mins Read
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डेस्क।

कानूनी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया की ई-कमेटी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार, ई-कोर्ट के अंतर्गत विकसित ई-कोर्ट सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इसके उपसमुच्चय मशीन लर्निंग (एमएल), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर), प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है (एआई) को ट्रांसलेशन, भविष्यवाणी और पूर्वानुमान जैसे क्षेत्रों में एकीकृत किया जा रहा है। प्रशासनिक दक्षता में सुधार, स्वचालित फाइलिंग, इंटेलिजेंट शेड्यूलिंग, केस सूचना प्रणाली को बढ़ाना और चैटबॉट्स के माध्यम से लिटिगेंट्स के साथ संवाद करना जैसे एरिया में इंटीग्रेट किया जा रहा है। कानूनी अनुसंधान, दस्तावेज़ विश्लेषण और न्यायिक निर्णय समर्थन में न्यायाधीशों की सहायता के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवीजन और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (ईकोर्ट), एनआईसी, पुणे की टीम द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवीजन और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (ई-कोर्ट), एनआईसी, पुणे की टीम द्वारा विकसित किया गया है। इसके अलावा, डिजिटल कोर्ट 2.1 को न्यायिक अधिकारियों की सहायता के लिए एकीकृत निर्णय डेटाबेस, एनोटेशन के साथ दस्तावेज़ प्रबंधन, स्वचालित प्रारूपण टेम्पलेट और जस्टआईएस ऐप के साथ निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करके विकसित किया गया है। डिजिटल कोर्ट 2.1 वॉयस-टू-टेक्स्ट फीचर (एएसआर – श्रुति) और अनुवाद (पाणिनी) कार्यात्मकताओं से लैस है जो न्यायाधीशों को आदेश और निर्णय श्रुतलेख में सहायता करता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आईआईटी मद्रास के साथ निकट समन्वय में, कमियों की पहचान के लिए इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत एआई और एमएल आधारित उपकरणों को विकसित और तैनात किया है।

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प्रोटो-टाइप की पहुंच 200 एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड को प्रदान की गई है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय आईआईटी मद्रासिस के सहयोग से दोषों को ठीक करने, मेटा डेटा निष्कर्षण और इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग मॉड्यूल और केस प्रबंधन सॉफ्टवेयर, अर्थात् एकीकृत केस प्रबंधन और सूचना प्रणाली (आईसीएमआईएस) के साथ एकीकरण के लिए एआई और एमएल उपकरणों के प्रोटोटाइप का भी परीक्षण करता है। इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय पोर्टल सहायता इन कोर्ट एफिशिएंसी (एसयूपीऐसीई ) नामक एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित उपकरण विकास के प्रायोगिक चरण में है। इस उपकरण का उद्देश्य मामलों की पहचान करने के अलावा उदाहरणों की एक बुद्धिमान खोज के साथ मामलों के तथ्यात्मक मैट्रिक्स को समझने के लिए एक मॉड्यूल विकसित करना है। (एआई) बेस्ड सॉल्यूशंस का मौजूदा स्कोप कंट्रोल्ड पायलट डिप्लॉयमेंट तक ही लिमिटेड है, जिसका मकसद ज़िम्मेदार, सुरक्षित और प्रैक्टिकल तरीके से अपनाना पक्का करना है।

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जबकि सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया की ई-कमेटी इन पायलट इनिशिएटिव्स को इवैल्यूएट करने के प्रोसेस में है, इस बारे में ऑपरेशनल फ्रेमवर्क बनाने और रेगुलेशन का काम संबंधित हाई कोर्ट्स के बिज़नेस के नियमों और पॉलिसीज़ के हिसाब से होगा। ज्यूडिशियल डोमेन में (एआई) के इस्तेमाल का पता लगाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने एक एआई कमेटी बनाई है, जो इंडियन ज्यूडिशियरी में (एआई) के इस्तेमाल को कॉन्सेप्ट बनाने, लागू करने और मॉनिटर करने के लिए ज़िम्मेदार है। 2023-24 से 4 साल के लिए मंज़ूर किए गए ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट के फेज़-III के तहत, फ्यूचर टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट (एआई, ब्लॉकचेन वगैरह) के हिस्से के लिए 53.57 करोड़ रुपये दिए गए हैं। एआई को ज्यूडिशियरी के ज़रूरी एरिया में इंटीग्रेट किया जाना है, जिसमें एडमिनिस्ट्रेटिव एफिशिएंसी में सुधार, पेंडिंग केस का अनुमान, प्रोसेस का ऑटोमेशन और कोर्ट के कामकाज को आसान बनाना शामिल है। e Courts प्रोजेक्ट के तहत एआई का इस्तेमाल करके बनाए गए टूल्स और प्लेटफॉर्म का मकसद eCourts प्रोजेक्ट के फेज़-III की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीप र) के मुताबिक, पूरे देश में ज्यूडिशियरी द्वारा इस्तेमाल किया जाना है। आज कानून और न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (इंडिपेंडेंट चार्ज) और संसदीय मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह जानकारी राज्यसभा में दी

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