अब लॉकडाउन से प्यार होने लगा है|

105
आज इस *चाइनीज वायरस* (Coronavirus) के कहर से सारी दुनिया परेशान है। इटली और अमेरिका से लेकर ब्रिटेन और स्पेन जैसे विकसित देश हों या भारत जैसा विकासशील देश। सभी देश कोरोना से दहशत में हैं। गांव से लेकर शहरों तक को *लॉकडाउन (Lockdown) कर दिया गया है, ताकि कोरोना के प्रसार को रोका जा सके।
आबादी का घर से निकलना बंद हो गया है। फैक्ट्रियों से धुआं निकलना बंद है। सड़कों पर गाड़ियों का चलना बंद है। कोरोना की वजह से देश और दुनिया की रफ्तार पर लगी ये इमर्जेंसी ब्रेक देशों को आर्थिक तौर पर भी बहुत नुकसान पहुंचा रही है। निःसन्देह ये चिंताजनक है। मगर इसके विपरीत *लॉकडाउन का एक दूसरा पहलू बहुत खुशनुमा और सकारात्मक भी है।
● मुझे लगता है कि, अगर चीन ने दुनियाँ को कोरोना वायरस दिया तो प्रकृति ने लॉकडाउन के रूप में दुनियां को एक बहु-आयामी और सशक्त मार्ग दिखाया है*।
★ इतने दिनों से लगातार लॉकडाउन में रहते हुए क्या आपने कभी गौर किया कि, कोरोना की वजह से हुए इस लॉकडाउन ने दुनियाँ को क्या अच्छा दिया है?
आईये देखते हैं लॉकडाउन ने हमें क्या क्या सौगात दिए-
★ लॉकडाउन के कारण देश भर में जरूरी गाड़ियों के अलावा यातायात पर पूरी तरह ब्रेक लगा।  इसके कारण सड़क दुर्घटनाओं में भारी गिरावट आई। सामान्यतः जहां रोज सैकड़ों रोड ऐक्सिडेंट की खबरें आती थीं और इनमें से कइयों की मौत हो जाती थी, अब ये संख्या ना के बराबर है।
 रोडरेज की घटनाएं भी बिल्कुल खत्म हो चलीं हैं।
लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्रियां भी बंद पड़ी हैं। फैक्ट्रियों के कचरे और जहरीले रसायन भी इस समय नदियों में नहीं गिर रहे हैं। लोगों का नदियों के किनारे जाना भी बहुत हद तक बंद है जिसकी वजह प्लास्टिक व अन्य कचरों में भारी कमी आई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा के लिए अलग से मंत्रालय बनाया है| गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे परियोजना शुरू  हुई है और ऐसा लग रहा है जैसे प्रकृति स्वयं इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है। तभी तो लॉकडाउन के बाद नदियों का पानी इतना साफ और स्वच्छ हो गया है जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं रही होगी। देश की लगभग सभी नदियों का यही हाल है। सभी नदियाँ पहले की तुलना में ज्यादा साफ और स्वच्छ हो गई हैं।
लुप्त हो चुके पक्षी कितने स्थानों पर अब वापस आसमान में उड़ते नज़र आने लगे हैं। कहीं शहर के आवासीय सोसाइटियों में मोर घूमने लगे हैं, तो कहीं हिरण सड़कों पे विचरण करते देखे जा रहे हैं। हरिद्वार और बनारस में गंगा का पानी अविश्वसनीय रूप से पारदर्शी और स्वच्छ हो चुका है। गंगा की लहरों पर अब राजहंसों (Flamingo) ने अपना दावा फिर से ठोक दिया है।
पंजाब में जालंधर और उत्तर प्रदेश में सहारनपुर से हिमालय की श्रृंखलाओं का नज़र आना अपने आप मे एक अद्भत और अविस्मरणीय अनुभव है। जरा सोचिए इस लॉकडाऊन ने पर्यावरण को कितना स्वच्छ, कितना शुद्ध कर किया है। दिल्ली जैसे शहर में जो काम वर्षों से odd-even चला कर केजरीवाल सरकार नहीं कर सकी, वो इस लॉकडाउन ने 10वें दिन से ही करना शुरू कर दिया।
10 लाख वर्ग किलोमीटर के घेरे में ओज़ोन की सतह पर बना वो छेद, जिसकी वजह से दुनिया भर के पर्यावरणविद और  वैज्ञानिक दशकों से परेशान थे, आज लगभग भर गया है, जिसका हमारी पृथ्वी के वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ना निश्चित है।
अगर लॉकडाउन के प्रभावों के पारिवारिक दृष्टिकोण पर नज़र डालें, तो हम देखेंगे कि, जिन पारिवारिक मूल्यों को हम भूल चुके थे, आज फिर से उन्होंने हमें अपनी सार्थकता का एहसास कराया। परिवार एक-जुट हो रहा है। संताने माता-पिता को वक्त दे रही हैं, उनका खयाल रखने की कोशिश कर रही हैं। कई परिवारों में सांझा चूल्हा फिर से जलने लगा है।बच्चे फिर से नानी-दादी की कहानियाँ सुनने लगे हैं। रामायण और महाभारत के पात्र आज की पीढ़ी को भारतवर्ष की हमारी गौरवशाली सभ्यता और सांस्कृतिक मर्यादाओं का बोध करा रहे हैं।
भारतीय समाज सदियों से जिस सांस्कृतिक धरोहर को भुला कर पश्चिमी संस्कृति की तरफ तेजी से भागने लगा था, आज पूरा विश्व हमारी उसी वैदिक संस्कृति की महत्ता को समझने लगा है। हाँ ! आज विश्व हमारे नमस्ते के विज्ञान को समझ रहा है। आज हमारी पीढ़ी को भी अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति अपनी परंपराओं पर पुनः गर्वान्वित होने का मौका मिला है।
सदियों से ये सब बस किसी सपने जैसा था, और आज हम उस सपने को जी रहे हैं।
इसलिए अगर हम इस लॉकडाउन से पड़ने वाले प्रभावों को दूसरे नज़रिये से देखें तो हम पाएंगे कि, लॉकडाउन में जिसने जो भी खोया हो, उससे कहीं ज्यादा इस मानव सभ्यता को मिला है। लॉकडाउन ने जो दिया है वो मेरी समझ से इतना अनमोल है जिसे देशों की अर्थब्यवस्थाएँ कभी खरीद नहीं सकतीं। कई बार मुझे लगता है जैसे मुझे इस लॉकडाउन से प्यार होने लगा है।
बस अब हमें अपने जीवन में इन अनमोल धरोहरों के महत्व को पहचानते हुए इनको सम्भाल कर रखना है।
मेरा तो विचार है, कि सभी देशों की सरकारों को इस विषय पर एक राय बनानी चाहिए कि क्या हम कुछ दिनों के निश्चित अंतराल पर इस तरह के लॉकडाउन की एक स्थायी ब्यवस्था कर सकते हैं, जो भविष्य में भी निरन्तर चलती रहे। आज के परिवेश में हमारी पृथ्वी के लिए ये लॉकडाउन निश्चित रूप से बहुत अच्छा है। मुझे लगता है,  प्रकृति ने ही हमें चेतावनी देते हुए प्रकृति को संवारने और संभालने के लिए  लॉकडाउन का ये रास्ता दिखाया है।
आप क्या कहते हैं?
क्या आपको भी लगता है कि, lockdown को स्थायी ब्यवस्था के रूप में लागू करना चाहिए जो कुछ दिनों या महीनों में एक बार एक दिन के लिए ही सही पर  चलती रहे?
Twitter या WhatsApp के माध्यम से मुझसे जुड़कर आप अपने विचार साझा कर सकते हैं।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More