गांव की सरकार : गोंदलपुरा में आज भी सुविधाओं का घोर अभाव

भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा, बदलाव चाह रहे ग्रामीण

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हजारीबाग  (बड़कागांव)। हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड स्थित गोन्दलपुरा में आज भी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। अस्पताल, डॉक्टर और नर्स की कमी तो यहाँ शुरू से है। अच्छी सड़कों का अभाव, शिक्षा की दुर्दशा और शुद्ध पेयजल-बिजली की किल्लत से ग्रामीण हर दिन जूझते हैं। भ्रष्टाचार और सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं के कारण ऐसी स्थिति गांव में बनी हुई है। इस बार के पंचायत चुनाव में यही असल मुद्दा है। यहाँ 27 मई को मतदान होना है। इस बार कुल नौ प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। लगातार दो बार से यहाँ के मुखिया श्रीकांत निराला और उनकी पत्नी पानो देवी रही हैं। पिछली बार यहाँ निर्विरोध चयन हुआ था। लेकिन इस बार नौ प्रत्याशी मैदान में हैं। प्रत्याशियों के अनुसार, गोंदलपुरा में सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार, अनियमितता, बेरोजगारी, कालाबाजारी, पलायन, शिक्षा, पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी इस बार के चुनावी मुद्दे हैं। उनका कहना है कि इस बार मुखिया के रूप में फिर से श्रीकांत निराला को जनता नहीं देखना चाह रही है।

“आज भी अधूरा है आदर्श पंचायत का सपना, मनरेगा में मनमानी, कुओं के निर्माण में भी भ्रष्टाचार”

चुनाव लड़ रहे नरेश कुमार महतो का कहना है कि ग्रामीणों ने गोन्दलपुरा को एक आदर्श पंचायत बनाने का सपना देखा था, जो अधूरा ही रह गया। निवर्तमान मुखिया को ग्रामीणों ने लगातार दस वर्षों तक अवसर दिया, लेकिन उसका ग्राम वासियों को लाभ नहीं मिल सका। गांव में कई जगहों पर बोर्ड लगाए गए हैं कि यह इलाका खुले में शौच से मुक्त है, लेकिन सच यह है कि यहाँ 25 प्रतिशत शौचालयों का निर्माण भी नहीं हुआ है। इसके अलावा पीएम आवास योजना में भारी गड़बड़ियां हुई हैं, जिसकी जानकारी सभी को है। कुएं के निर्माण में भारी गड़बड़ी हुई है। मनरेगा में कोई भी काम नियम अनुसार नहीं हुए हैं। यहाँ की सड़कें बदहाल हैं। भ्रष्टाचार चरम पर है।

“मुखिया पद के दुरूपयोग से आहत हैं ग्रामीण, इसलिए तय है बदलाव”

मुखिया प्रत्याशी विनय कुमार का कहना है कि गोन्दलपुरा पंचायत में हर ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। पिछले वर्षों में कभी भी ग्रामीणों को उनका वाजिब हक़ नहीं मिला। उनका हक़ छीना जा रहा है। यही इस बार का चुनावी मुद्दा है। पंचायत के गावों में नाली निर्माण में गड़बड़ी हुई है। सड़कों की हालत ख़राब है। ब्लॉक ऑफिस में भ्रष्टाचार है। विकास के सभी कार्य सिर्फ कागजों पर हुए हैं। इस बार जनता इन सबसे उबरना चाहती है, जिस कारण से बदलाव होना तय है। हमने निर्विरोध तरीके से श्रीकांत निराला और पाने देवी को मुखिया पद के लिए चुना था, लेकिन इन लोगों ने अपने पद का दुरूपयोग किया। इससे ग्रामीण आहत हैं। आज भ्रष्टाचार की वजह से योजनाओं का लाभ बस उन्हें ही मिल रहा है जो पैसा देने के लिए तैयार हैं। स्थिति ऐसी है कि गरीब को रहने के लिए झोपड़ी नहीं मिली, लेकिन हजारीबाग में जिसे फ़्लैट है उसे पीएम आवास के तहत घर मिल गया है। ग्रामीणों को मिलने वाले राशन में काफी गड़बड़ी हो रही है। पेंशन वितरण में भी जो पैसा देता है उसे ही पेंशन मिलती है। इस सब गड़बड़ियों के सीधे जिम्मेदार हमारे मुखिया ही हैं, जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसलिए इस बार अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं।

“रोजगार की कमी और पलायन बड़ा मुद्दा, मूलभूत सुविधाओं का आज भी है अभाव”

गोन्दलपुरा पंचायत के एक अन्य प्रत्याशी रामेश्वर महतो का कहना है कि पंचायत में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। क्षेत्र में विकास के काफी कम कार्य हुए हैं। रोजगार के मौके नहीं हैं, इसलिए बड़ी संख्या में युवा पलायन कर जाते हैं। सरकारी योजनों मने भ्रष्टाचार और गड़बड़ियां हैं, जिसकी जांच कभी भी निवर्तमान मुखिया ने करनी नहीं चाही। पंचायत में सड़कों और नालों की स्थिति ठीक नहीं है। स्कूल है तो शिक्षक नहीं हैं। पेयजल की समस्या है। सिंचाई की सुविधा नहीं है। हर ओर लापरवाही हो रही है। पंचायत में अस्पताल की सुविधा नहीं है। समय पर डॉक्टर-नर्स नहीं मिलते। वार्ड में मुखिया के माध्यम से तीन चापाकल लगने थे, लेकिन एक भी नहीं लग सका।

इधर, सभी आरोपों पर निवर्तमान मुखिया ने अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में कुछ भी गलत नहीं हुआ है। सभी आरोप निराधार हैं। जनता का जो निर्णय होगा, उन्हें स्वीकार है।

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