XLRI 5th Social Entrepreneurship Conclave: इंटरप्रेन्योर बनना है तो जहां समस्या है वहां जाएं, उसे हल करने के लिए काम करें : डॉ आनंद

एक्सएलआरआइ में पांचवें सोशल एंटरप्रेन्योरशिप कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन

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जमशेदपुर।
एक्सएलआरआइ में ‘5वें सोशल इंटरप्रेन्योरशिप कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया गया. एक्सएलआरआइ के सोशल इनिशिएटिव ग्रुप फॉर मैनेजरियल असिस्टेंस (सिग्मा) की अोर से आयोजित इस कॉन्क्लेव में आधुनिक भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य की देखभाल पर चर्चा की गयी. इस वर्ष के कॉन्क्लेव का विषय था, ‘आधुनिक भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करना’. इस दौरान ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने, चुनौतियों और उनके समाधान से जुड़े विचारों का आदान-प्रदान किया गया. कॉन्क्लेव में अपने प्रयास से समाज में परिवर्तन लाने वाले कुल छह पैनलिस्टों को अामंत्रित किया गया था. कॉन्क्लेव का उद्घाटन महाराष्ट्र की एक गैर-लाभकारी संस्था सोसाइटी फॉर एजुकेशन, एक्शन एंड रिसर्च इन कम्युनिटी हेल्थ (सर्च) के संयुक्त निदेशक डॉ आनंद बंग ने किया. उन्होंने अपने भाषण में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के व्यापक पहलुओं को शामिल किया. उन्होंने देश के भावी इंटरप्रेन्योर को सफलता का मंत्र देते कहा कि ‘जहां समस्याएं हैं वहां जाएं और उन्हें हल करने के लिए काम करें’. अगर किसी की समस्या का समाधान आपके किसी उद्यम से हो जाता है तो फिर उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. इस दौरान उन्होंने कई उदाहरण भी प्रस्तुत किये. डॉ. बंग ने महाराष्ट्र के ग्रामीण समुदायों में उनके द्वारा किये जाने प्रयासों की जानकारी साझा की, और ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रमों और कार्यान्वयन में अंतर को पाटने के लिए एक प्रभावी समाधान खोजने की आवश्यकता पर बल दिया.


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युवा शिक्षित पीढ़ी ही ला सकती है बदलाव
पहले पैनल के लिए वक्ताओं में आईक्योर के संस्थापक और सीईओ सुजय संतरा, अरविंद आई केयर सिस्टम के निदेशक सह संस्थापक सदस्य तुलसीराज रविला व एवरी इन्फैंट मैटर्स की संस्थापक डॉ. राधिका बत्रा मौजूद थे. इस पैनल डिस्कशन के दौरान यह बात निकल कर सामने आयी कि जब ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की बात आती है तो स्वास्थ्य सेवाअों को ग्रामीणों तक पहुंचाना बड़ी समस्या थी. लेकिन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से इसे आसान किया जा सकता है. पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि सच्चा परिवर्तन केवल युवा शिक्षित पीढ़ियों द्वारा लाया जा सकता है, जो अपने गृहनगर और गांवों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं. यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें समय लगेगा, लेकिन दृढ़ता से अगर कार्य किया जाये तो रंग लायेगी. उन्होंने कहा कि दृढ़ता सफलता की कुंजी है.
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पोषण केवल खाना तक ही सीमित नहीं
दूसरा पैनल का विषय पोषण सुरक्षित भारत निर्माण में होने वाली चुनौतियां विषय पर था. पैनल के वक्ता के रूप में चेतना की संस्थापक-निदेशक इंदु कपूर, अरमान की संस्थापक डॉ चेतना अपर्णा हेगड़े और आकार इनोवेशन के संस्थापक जयदीप मंडल मौजूद थे. डॉ. अपर्णा ने देश के पोषण प्रोफाइल को मजबूत करने से जुड़ी बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के महत्व पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 2.6 मिलियन महिलाओं को वॉयस कॉल के माध्यम से रोग को दूर करने से जुड़ी जानकारियां प्रदान की. वहीं इंदु कपूर ने कहा कि पोषण केवल खाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि पोषण का ताल्लुक मानसिक पोषण से भी है. उन्होंने कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए समुदायों को सशक्त बनाने के साथ-साथ जागरूकता फैलाने के महत्व पर बल दिया. अंत में बताया गया कि में कुपोषण एक जटिल समस्या है, जिसके निवारण के लिए सरकारी विभागों और निजी स्तूर पर कार्य करने वाली संस्थानों को भी एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है.
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मासिक धर्म को लेकर भी ग्रामीण महिलाअों में है भ्रांति
वहीं श्री मंडल ने कहा कि कई बार जागरूकता की कमी के कारण भी ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं. अक्सर लोगों को धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से गुमराह किया जाता है जो एक जागरूक स्वास्थ्य देखभाल मानसिकता तक पहुंचने में बाधा के रूप में कार्य करते हैं. उन्होंने मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाओं की दुर्दशा और मासिक धर्म स्वच्छता के मामले में जागरूकता की कमी पर अपनी बातों को प्रस्तुत किया.

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