Indian Railways Irctc : अब नई-नवेली LHB कोच वाली ट्रेन में सफर करेंगे यात्री, अब इन ट्रेनों से पुराने डिब्बे हटाएगी रेलवे

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रेल समाचार

दक्षिण पूर्व रेलवे  रेलवे, ट्रेन यात्रियों के लिए एक नई सुविधा देने जा रहा है। सफर आसान और मस्ती भरा रहे इसके लिए वह अपनी आईसीएफ कोच वाली ट्रेनों में एक बदलाव करने जा रहा है। आईसीएफ कोच को एलएचबी रैक में बदल रहा है। एलएचबी जर्मन तकनीक है। यह अधिकतर तेज गति वाली ट्रेनों में इस्तेमाल किया जाता है। जिससे ट्रेन और भी स्पीड से पटरी पर दौड़ सकेगी। इसके साथ ही ज्यादा स्पेस होने से यात्री आराम से सीट पर बैठ व लेट सकते हैं। दुर्घटना होने की संभावना कम रहती है। क्योंकि ये कोच पटरी से आसानी से नहीं उतरते है।

उसी को देखते हुए यात्रा करने वाले यात्रियों को सुरक्षित, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा प्रदान करने के दृष्टिकोण से, दक्षिण पूर्वी रेलवे ने निम्नलिखित ट्रेनों की रेक को अस्तित्व के बजाय सबसे परिष्कृत और आधुनिक एलएचबी (लिंके होफमैन बुश) रेक में बदलने का निर्णय लिया है। उसे लेकर दक्षिण पूर्व रेलवे ने अधिसुचना जारी कर दी हैॆ।

जानकारी के अनुसार दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रघरपुर डिवीजन के टाटानगर के  एर्नाकुलम के बीच चलने वाली टाटानगर-एर्नाकुलम-टाटानगर एक्सप्रेस ट्रेनों के रैक को एलएचबी रैक में बदल रहा है। दक्षिण पूर्व रेलवे से मिली जानकारी अनुसार ( गाड़ी संख्या 18189/18190) टाटानगर-एर्नाकुलम-टाटानगर एक्सप्रेस एलएचबी रेक के साथ टाटानगर से 24.03.2022 और एर्नाकुलम से 27.03.2022 चलेगी।

इसके अलावे  गाड़ी संख्या 18045/18046 शालीमार-हैदराबाद-शालीमार ईस्ट कोस्ट एक्सप्रेस एलएचबी रेक के साथ शालीमार से 30.05.2022 और हैदराबाद से 01.06.2022 चलेगी।

 

जानें क्या हैं LHB कोच
एलएचबी जर्मन तकनीक है। एलएचबी कोच ट्रेन में हो तो इसकी गति 160 से 180 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) आपस में टकरा न सकते हैं। एलएचबी कोच मजबूत होते हैं अगर दुर्घटना हो जाती है तो नुकसान कम होता है। ये कोच एक-दूसरे पर भी नहीं चढ़ते जिससे यात्री सुरक्षित रहते हैं। इन कोचों का ओवरऑल मेंटेनेंस 3 साल में एक बार होता है। जबकि पारंपरिक कोच का मेंटेनेंस डेढ़ से लेकर दो साल में करवाना जरूरी होता है।

 

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