जामताड़ा।
सत्ता जब भी लड़खड़ाती है और सिस्टम बिगड़ने लगता है ऐसी स्थिति में साहित्य ही सिस्टम और सत्ता को संभालने में मददगार होती है। यह कहना था एसपी दीपक कुमार सिन्हा का और मौका था शाम-ए-गजल सह मुशायरा का। कृषि विज्ञान केंद्र में पुलिस और प्रेस परिवार की ओर से पूर्व आईजी ध्रुव गुप्ता के सम्मान में आयोजित शाम-ए-गजल मुशायरा में बतौर मुख्य अतिथि एसपी दीपक चौहान उपस्थित थे। वही इस महफिल को चार चांद लगाने में अवकाश प्राप्त डीआईजी ध्रुव गुप्ता मुख्य वक्ता थे। अपने संबोधन में एसपी दीपक सिन्हा ने साहित्य के महत्व को बताते हुए कहा कि बात उस दौर की है जब पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे और महाकवि रामधारी सिंह दिनकर सांसद हुआ करते थे। एक कार्यक्रम में दोनों मंच साझा कर रहे थे इसी क्रम में अचानक मंच पर पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की कदम लड़खड़ा गई और प्रसिद्ध साहित्यकार सह तत्कालीन सांसद कवि रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें संभाला था। इसका हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जब वैसी स्थिति आती है तो साहित्य अपना काम करता है। इस देश की क्रांति और आजादी में साहित्यकारों की भी भूमिका अहम रही है।
वही कार्यक्रम में एक से एक साहित्यकार और कवि शामिल हुए। जिसमें कुछ नवोदित भी थे और कुछ ख्याति प्राप्त भी। इनमें मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित पूर्व आईजी ध्रुव भगत जिनकी वाणी और लेखनी से सीख कर विशेषकर बिहार और झारखंड के साहित्य जगत में कई नाम चर्चित हुए। जिनमें से एक नाम झारखंड में सर्व विदित है, वह है निलोत्पल मृणाल जो अस्वस्थ होने के कारण कार्यक्रम में शरीक नहीं हो सके।
पूर्व आईजी ध्रुव भगत ने अपने कविताओं से लोगों को उद्वेलित कर दिया। जब उन्होंने अपनी रचना ‘कुछ दहशत हर बार खरीदा, जब हमने अखबार खरीदा, उसके भीतर क्या जंगल था कल जिसने घर बार खरीदा’ ने जमकर लोगों की तालियां बटोरी। एक के बाद उन्होंने अपनी कई कविताओं से लोगों को समाज के वर्तमान परिस्थितियों से अवगत कराया।
वही जामताड़ा के स्थानीय नवोदित कवियत्री सरिता सिंह ने उन चीजों को अपने काव्य पाठ से छूने का प्रयास किया जिसे आधुनिकता की दौड़ में लोग भूलते जा रहे हैं। ढेकी को पता चल गया है, सदियों पुरानी इमारतों को दरकते हुए देखा ने लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। दुमका से आए कवि दुर्गेश चौधरी ने हां मैं चूल्हा हूं, यूं ही नहीं जला था, मुझे जलाया गया था, ने लोगों को अतीत में झांकने को मजबूर कर दिया। वही वो जागती आंखों से नजीर मांगता है पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। दुमका से आए चर्चित कवि यशवंत सिन्हा के मेरी शब ए गम का कभी सहर नहीं आता, ने लोगों को झूमाया। वही बसंत के रंग में लोगों को ‘उनसे अब हमारी कुछ ही कदम की दूरी है’ से रंगने का प्रयास किया। इसके अलावा गाओ जलदे हिंद क्रांति के गीत गाओ ने उपस्थित लोगों को झंकृत कर दिया। इसके अलावे दुमका से आए अंजनी शरण, गुलरेज शहजाद सहित अन्य ने अपनी प्रस्तुति से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मंच संचालन इंस्पेक्टर देवेश भगत ने किया। मौके पर इंस्पेक्टर मनोज कुमार, संजय कुमार, थाना प्रभारी जामताड़ा इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान, अभय कुमार, दीपक ठाकुर, रोशन कुमार, अधिवक्ता मनोज सिंह सहित अन्य उपस्थित थे।
Comments are closed.