जमशेदपुर, ।
टाटा स्टील ने झारखंड सरकार के कारखाना निरीक्षक कार्यालय द्वारा आयोजित सिलिकोसिस पर जागरुकता कार्यक्रम को प्रायोजित किया,।इस अवसर मुख्य अतिथी के रुप मुख्य कारखाना निरीक्षक मौजुद थे..श्री मिश्रा ने अपने स्वागत संबोधन में क्वाट्र्ज क्वैरी में ग्राइंडिंग जैसे कुछ परिचालनों के कुप्रभावों को रेखांकित किया, जिसके कारण सिलिकोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन स्रोत से निकलने वाले धूल के उत्सर्जन को नियंत्रित करके, उपयुक्त पीपीई का इस्तेमाल कर तथा नियमित चिकित्सा जांच के माध्यम से इससे बचाव किया जा सकता है। श्री मिश्रा ने कहा कि जहां कहीं भी ऐसे मामले दिखे इसकी सूचना मुख्य कारखाना निरीक्षक को देना मालिकों, लीज धारकों तथा चिकित्सा सेवाएं देने वाले लोगों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कारखाना के मालिकों को सलाह दिया कि वे औद्योगिक स्वच्छता में सुधार लाने की दिशा में अपनी पेशागत सुरक्षा तथा स्वास्थ्य समिति की गठन करें। इस संबंध में उन्होंने श्रमिकों के कानूनी अधिकारों के बारे में बताया जिसकी वकालत भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गई है।
इसके बाद, सेफ्टी एक्सलेंस सेंटर से डॉ स्मिता गायकवाड, डॉ. सौरव डे और डॉ के जे पारिख ने मानव श्वसन प्रणाली, आक्यूपेशनल खतरों के प्रकार, सिलिकोसिस क्या है, इसके प्रकार, सिलिकोसिस पैदा करने वाले उद्योग, समस्या की गंभीरता, जोखिम के दायरे में आने वाले मजदूर, सिलिकोसिस के लक्षण, उपचार, जटिलता, बचाव व प्रबंधन, आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला।
Comments are closed.